टांय-टांय फ़िस्स होगा किसान आन्दोलन?


मुजफ़्फ़रनगर में हुई किसान महापंचायत के बाद एक बार फ़िर किसान आन्दोलन सुर्खियों में आ गया है। इस किसान महापंचायत में देश भर के लाखों किसानों के जुटने की बात कही जा रही थी, लेकिन भीड़ अपेक्षा से काफ़ी कम रही। जो कुछ भी किसान जुटे, उनमें अधिकतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर मुजफ़्फ़रनगर, बागपत और मेरठ के थे। इसके साथ ही इस आन्दोलन में जो किसानों की भीड़ जुटी, वो ज्यादातर राजनैतिक दलों के नेताओं के कहने पर एकत्रित हुई थी , वरना इस महापंचायत में कितने लोग जुटते, यह कहना मुश्किल है। हालांकि इस महापंचायत के लिए काफ़ी दिनों से तैयारियां की जा रही थीं। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या किसान आन्दोलन दम तोड़ रहा है? या फ़िर किसान आन्दोलन को किसान नेताओं के अहम के चलते ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। कुछ किसान नेता कह रहे हैं कि किसान आन्दोलन को चलाने वाले नेताओं के कई धड़े बन गये है, जिसके चलते किसान आन्दोलन अब तक सरकार पर दबाव नहीं बना पाया। अब मुख्यत: किसान आन्दोलन की कमान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता कहे जाने वाले राकेश टिकैत के हाथ में है, जिनकी पहले ही राजनैतिक पृष्ठभूमि रही है। यहां बता दें कि राकेश टिकैत पहले कांग्रेस में थे और मुजफ़्फ़रनगर से विधानसभा चुनाव भी लड़े थे, जिसमें उन्हें करारी हार मिली थी। हालांकि इस महापंचायत में राकेश टिकैत ने अल्ला हू अकबर और हर हर महादेव के नारे भी लगवाए, ताकि इसे राजनैतिक धार दी जा सके।  टिकैत ने दिये अपने भाषण में यूपी की योगी सरकार के खिलाफ़ हमला बोला, कि उसने गन्ने का दाम नहीं बढ़ाया। टिकैत ने भजपा को दंगा कराने वाली पार्टी तक कह दिया और भाजपा को सत्ता से उखाड़ने की बात कही।

वहीं इस किसान महापंचायत पर बोलते हुए भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमन्त्री केशव मौर्य ने कहा कि यह वास्तव में किसान आन्दोलन है ही नहीं, इसमें सपा, बसपा और कांग्रेस के लोग बैठे हुए हैं। इस आन्दोलन का हश्र भी शाहीन बाग आन्दोलन की तरह ही होगा। शाहीन बाग आन्दोलन की तरह ही यह आन्दोलन भी टांय-टांय फ़िस्स हो जाएगा। केशव मौर्य ने कहा कि अगले साल यूपी में चुनाव होने हैं, जिसमें पता लग जाएगा कि जनता किसके साथ है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार ने किसानों के हित के लिए अनेकों योजनाएं चलाई हैं, जिसका लाभ किसानों को मिला है। इसी के चलते देश के ज्यादातर किसान भाजपा के साथ हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में भाजपा एक बार फ़िर 300 से ज्यादा सीटे जीतकर सरकार बनाएगी।

वहीं उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मुजफ़्फ़रनगर में हुई किसानों की महापंचायत में भीड़ न जुटने पर ट्वीट कर कहा कि 20 हजार की भीड़ भी नहीं जुटा सके , जबकि 20 लाख का दावा कर रहे थे। उन्होंने इस किसान महापंचायत पर तंज कसते हुए लिखा कि मियां खलीफ़ा के आने की अफ़वाह उड़ाई गई थी, तब कहीं जाकर इतने लोग जुटा पाए। 

 टिकैत ने इस महापंचायत में कई बार हिन्दू मुस्लिम एकता का जिक्र किया, ताकि जाट बहुल इस इलाके में हिन्दू मुस्लिम में बंटे किसानों को एक बार फ़िर जोड़ा जा सके। यहां बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान राजनीति के अगुवा रहे चौधरी चरण सिंह और फ़िर उनके बेटे अजित सिंह ने जातियों और धर्म में बंटे किसानों को उनकी आय से जोड़कर एक सूत्र में पिरोने का काम किया, जिसके दम पर पहले चरण सिंह और फ़िर अजित सिंह ने इस क्षेत्र में कई बार एकतरफ़ा जीत हसिल, लेकिन 2013 में सपा सरकार में मुजफ़्फ़रनगर में हुए दंगों ने यहां किसानों की राजनीति को हिन्दू मुस्लिम राजनीति में बांट दिया, जिसके बाद हुए अधिकतर चुनाव में इस क्षेत्र की ज्यादातर सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया। पिछली बार लोकसभा चुनाव में तो सपा बसपा और लोकदल ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन इसके बावजूद अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी तक चुनाव हार गये, जिनकी सीटें अजेय मानी जाती थीं।

हालांकि राजनैतिक जानकार कहते हैं कि अगर यहां किसान आन्दोलन के नाम पर जाट और मुस्लिम एक हो गये और उन्होंने भाजपा के खिलाफ़ किसी एक पार्टी को वोट कर दिया, तो यहां की करीब 80 सीटों पर भजपा के लिए मुश्किल हो सकती है। राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत हनक के साथ कहते हैं कि उनका एक इशारा काफ़ी है, वो जिसे चाहें जिता दें और जिसे चाहें हरा दें।