विकास दुबे का काम तमाम



उत्तर प्रदेश में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने के बाद विकास दुबे को सारे देश की पुलिस तलाश रही थी ।उत्तर प्रदेश पुलिस की कई टीमें उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसके पांच साथियों को तीन दिन में मुठभेड में ढेर कर दिया था। प्रदेश पुलिस ने विकास को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर पांच लाख का ईनाम घोषित कर रखा था। पांच लाख रुपये इनामी हिस्ट्रीशीटर को गुरुवार सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था ।उत्तर प्रदेश पुलिस उसे अदालत में पेशी के लिए ला रही थी ।सड़क मार्ग से पुलिस का काफिला उज्जैन से विकास को लेकर उत्तर प्रदेश के लिए निकला था।उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से पहले ही सचेंडी थाना क्षेत्र में जानवरों को बचाने के चक्कर में एसटीएफ की कार पलटी। गाड़ी में सवार पुलिसकर्मी हल्की नींद में थे। तभी दुर्घटना का फायदा उठाकर विकास इंस्पेक्टर नवाबगंज की पिस्टल छीनकर भागा। पीछे से आ रही एसटीएफ की दुसरी टीम ने उसे दौड़ाया इस दौरान जवाबी मुठभेड़ में एसटीएफ और पुलिस टीम ने उसे ढेर कर दिया । मुठभेड़ में एसटीएफ के दो जवान भी घायल हुए हैं। विकास दुबे का नाम उस वक्त चर्चा में आया था, जब कानपुर जिला मुख्यालय से करीब 38 किमी दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू को विकास हो को पकड़ने के लिए पुलिस टीम पहुंची थी ।इस दौरान कुख्यात विकास और उसके साथियों ने पुलिस टीम हमला कर दिया था, जिसमें सीओ, एसओ सहित आठ पुलिसकमी शहीद हो गए थे। उत्तर प्रदेश में में यह पहला मामला था, जब इतनी बड़ी संख्या में पुलिस वाले बलिदान हो गए थे ।इसके बाद पुलिस ने उसी वक्त कुख्यात विकास के मामा और चचेरे भाई को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था । बिकरू गांव में दो जुलाई को सीओ-एसओ समेत आठ पुलिसकर्मी बलिदान हुए। तीन जुलाई को कानपुर के आइजी मोहित अग्रवाल व एसएसपी दिनेश कुमार पी की अगुआई में पुलिस ने विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और चचेरे भाई अतल दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया। विकास के दो बीघा जमीन पर बने अभेद्य किलानुमा घर व नीचे बने बंकर को चार जुलाई को ढहाकर हथियार, बम और गोला-बारूद बरामद किए गए। आठ जुलाई को पुलिस ने इस मामले में निलंबित चौबेपुर एसओ विनय कुमार तिवारी व हलका इंचार्ज केके शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। आरोप है कि विनय तिवारी और केके शर्मा ही विकास को सहयोग कर रहे थे ।उन्होंने ही पुलिस छापे की खबर विकास को दी थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश एसटीएफ व हमीरपुर पुलिस के एक संयुक्त ऑपरेशन में विकास का दाहिना हाथ 50 हजार का इनामी भतीजा अमर दुबे मौदहा में मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया। पुलिस ने इस मामले में 50-50 हजार के इनामी श्यामू बाजपेई, जहान यादव कानपुर में दबोचा थाविकास एक कुख्यात अपराधी है। इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि उस पर डकैती, हत्या व हत्या के प्रयास सहित 71 मुकदमे दर्ज हैं। पेज 6 का शेष उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि विकास दुबे ने पुलिस का हथियार छीनने की कोशिश की और भागने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी फायरिंग की गई, जिसमें वो घायल हो गयाउन्होंने कहा कि अस्पताल ले जाने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गयाउत्तर प्रदेश के सबसे मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे को अचानक नाटकीय अंदाज में मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में पुलिस ने दबोच लिया था ।उत्तर प्रदेश की एसटीएफ टीम सीओ तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में उसे लेकर उज्जैन से झांसी, जालौन होते हुए कानपुर पहुंची थी। दस जुलाई की सुबह साढ़े छह बजे शहर से करीब 12 किलोमीटर पहले सचेंडी थाना क्षेत्र स्थित कन्हैया लाल अस्पताल के सामने तेज बारिश के बीच सड़क पर भैंसों-गायों का झुंड आ गया, जिन्हें बचाने के लिए चालक ने टीयूवी कार को मोड़ा और गाड़ी अचानक पलट गई। कार सवार इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी, सब इंस्पेक्टर पंकज सिंह व अनूप सिंह, कांस्टेबल सत्यवीर व प्रदीप कुमार घायल हो गए। एसटीएफ के मुताबिक दुर्घटना में हल्की नींद और चेतना भंग होने का फायदा उठाकर विकास दुबे एसओ की पिस्टल छीनकर कार से कच्चे रास्ते की तरफ भाग निकला ,पीछे से आए सीओ एसटीएफ ने घायलों को अस्पताल भेजने का बंदोबस्त कराते हुए टीम संग विकास दुबे का पीछा किया। एसटीएफ के मुताबिक विकास ने गोली चलाई, जिसमें हेड कांस्टेबल शिवेंद्र सिंह व कांस्टेबल विमल यादव घायल हो गए ।जवाबी फायरिंग में विकास भी घायल हो गया। पुलिस उसे तुरंत हैलट अस्पताल लेकर पहुंची, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया ।उसके पास से इंस्पेक्टर की लूटी गई पिस्टल व दो खोखा बरामद किए गए हैंविकास पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, डकैती जैसे सत्तर संगीन मुकदमे दर्ज थे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कुख्यात बदमाश विकास दुबे की पुलिस और एसटीएफ से हुई मुठभेड़ में तीन गोलियां लगी थीं। तीनों शरीर से पार निकल गईइनमें से दो गोलियां उसके सीने और एक कमर पर लगी ।डॉक्टरों ने बताया कि गोलियां लगने से विकास का दिल, गुर्दा व लिवर क्षतिग्रस्त हो गया था ,इससे अत्यधिक खून बहा और उसकी मौत हो गई। हैलट अस्पताल में पोस्टमार्टम हुआ, जिसमें डॉ. अरविंद अवस्थी, चौबेपुर सीएचसी के डॉ. विपुल चतुर्वेदी और डॉ. शशिकांत मिश्र शामिल रहे। विकास की मौत के बाद संतोष शुक्ला के परिवार वालों ने बहुत खुशी जताई और पुलिस का आभार जताया।



संतोष शुक्ला की 2001 में कानपुर देहात के शिवली पुलिस स्टेशन के भीतर दिन-दहाड़े गैंगस्टर विकास दुबे ने हत्या कर दी थी। उसकी मौत के बाद संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला ने कहा है कि आज हर वह व्यक्ति खुश है, जिसके खिलाफ उसने अपराध किया था ।मुझे न्याय मिलने में 19 साल लग गए। उन्होंने कहा कि अगर तब ही उसे जेल भेज दिया जाता, तो आज इतने परिवार नहीं उजड़ते ।कानपुर के इस कुख्यात बदमाश गैंगस्टर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद बिकरू गांव के लोगों ने मिठाइयां बांटी  .। गांव वालों का कहना है कि यह पूरा इलाका आज बहुत खुश है। ऐसा लगता है ,जैसे हम आखिरकार आजाद हो गए हैं। यह आतंक के युग का अंत है, हर कोई बहुत खुश है।