बन गई वैक्सीन

रिपोर्ट - सतीश कौशिक 



दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण जहां विकराल रूप लेता जा रहा है, तो वहीं अच्छी खबर यह है कि कई देशों ने कोविड-19 की वैक्सीन बनाने का दावा किया है, जिनमें अमेरिका, रूस इजराइल, इटली, बिटेन, फ्रांस, भारत और चीन प्रमुख हैं। कई देश तो वैक्सीन के इंसानी परीक्षण के अन्तिम चरण तक पहुंच गये हैं। उम्मीद की जा रही है कि सितम्बर तक गई वैक्सीन वैक्सीन बाजार में भी आ जाएगी। कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में दुनिया भर के देश जुटे हैं। ये किसी ना किसी स्टेज में हैंहालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इनमें से सिर्फ 7-8 को ही आगे माना है। अमेरिका एक तरफ जहां दुनिया भर की वैक्सीन निर्माता कम्पनियों को फंडिंग कर रहा है, तो वहीं कई अमेरिकन कम्पनियां भी कोविड-19 वैक्सीन बनाने में लगी हैं। अमेरिका की दवा निर्माता कम्पनी मॉडर्ना इंक ने कोरोना की एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन बनाई और एक छोटे ग्रुप पर जब इसका परीक्षण किया गया, तो पता चला कि उनमें एंटीबॉडीज बनी हैं। कम्पनी ने इसके डाटा पेश किये हैं। जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर जैसी कम्पनियां भी कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। अमेरिका ने फ्रांस की कम्पनी सनोफी से समझौता किया है कि अगर उसकी वैक्सीन सफल होती है, तो वो सबसे पहले अमेरिका को मिलेगी। चीनी अनुसंधान टीम ने भी कोविड-19 की वैक्सीन के लिए इंसानों पर परीक्षण किया है। पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल से पता चला है कि इसके शुरुआती नतीजे काफी उत्साहवर्धक रहे हैं। चीनी अनुसंधान की टीम ने कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण के लिए इस परीक्षण को मील का पत्थर बताया है। उधर इजराइल ने दावा किया है कि उसने कोरोना वैक्सीन बना ली है। इजराइल के रक्षा मंत्री ने दावा किया है कि उनके देश के डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस के एंटीबॉडी को विकसित करने में सफलता पा ली है। कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास का चरण अब पूरा हो चुका है। अब हम इसके पेटेंट और व्यापक पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयारी कर रहे हैं। उधर इटली ने भी कोविड-19 संक्रमण को रोकने में कारगर एंटीबॉडी विकसित करने का दावा किया है। यहां सरकार ने दावा किया है कि जिस वैक्सीन को बनाया गया है, उसने मानव कोशिका में मौजूद कोरोना वायरस को खत्म कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोम के स्पालनजानी अस्पताल में टेस्ट किया गया और पहले चूहों में एंटीबॉडी तैयार किया गया, फिर इसका प्रयोग इंसानों पर किया गया और इसने अपना असर दिखाया। नीदरलेंड के वैज्ञानिकों को भी कोरोना वैक्सीन की रिसर्च में बड़ी सफलता मिली है। बताया जा रहा है कि यहां वैज्ञानिकों ने कोविड-19 को रोकने में कारगर एंटीबॉडीज विकसित कर ली है। यह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकती है। यह एंटीबॉडी कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर प्रहार करती हैयह उसे ब्लॉक करती है। इससे कोरोना का शरीर में संक्रमण नहीं फैल पाता। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना वायरस शरीर मे स्पाइक प्रोटीन से कोशिकाओं पर प्रभाव डालता है। संक्रमित होने के बाद वायरस स्पाइक प्रोटीन को बढ़ाता है। इससे संक्रमित व्यक्ति की हालत नाजुक होती जाती है। उधर थाइलैंड जैसे छोटे देश ने भी दावा किया है कि उसने कोविड-19 की वैक्सीन तैयार कर ली है । इस वैक्सीन का ट्रायल बन्दरों पर किया जा रहा है। इससे पहले चूहों पर इस वैक्सीन का सफल ट्रायल किया जा चुका है। थाई वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले साल तक उनकी वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। वहीं भारत कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के टॉप 10 देशों की सूची में आ गया है। देश में कोरोना के मामले रोज़ नये रिकॉर्ड बना रहे हैं। हालांकि भारत की ओर से भी वैक्सीन बनाने के प्रयास जोरों पर है। देश के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के मुताबिक, देश में 14 संस्थान कोरोना वैक्सीन विकसित करने के काम में लगे हैं और उनमें से 4 एडवांस स्टेज में जाने को तैयार हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि भारत को अक्टूबर तक कोरोना वैक्सीन मिल सकती है । इसकी कीमत भी काफी कम होगी। मीडिया रिपोर्ट्स में भारत की बड़ी वैक्सीन निर्माता कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बारे में दावा किया जा रहा है कि वो वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया के अन्तिम चरण में है और जल्द ही कोई बड़ी खुशखबरी दे सकती है। भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन पर जो काम हो रहा है, उस पर खुद पीएम मोदी और भारत सरकार गहनता से नजर बनाए हुए हैं और वैक्सीन निर्माण के रास्ते में आने वाली हर अड़चन को दूर कर रहे हैं। कोरोना वैक्सीन को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ ही कई दूसरे संस्थानों में भी दिन रात काम चल रहा है और अगर भारत दुनिया में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बना पाया, तो अचरज नहीं होगा। दूसरी ओर भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और दूसरे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों से लगातार सम्पर्क बनाए रखा है, ताकि वैक्सीन बनने पर उसे जल्द से जल्द हासिल किया जा सके। इसके अलावा भारत की उम्मीद जिस वैक्सीन पर टिकी है, वो ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवसिर्टी द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन है। 23 अप्रैल को इसका ट्रायल शुरू हुआ है। इस वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वैक्सीन से प्रोटीन प्रतिरोधक क्षमता सक्रिय होगी। आक्सफोर्ड यूनिवसिर्टी द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के लिए अब तक 500 लोगों पर परीक्षण किये जा चुके है, जिसके नतीजे काफी उत्साहवर्धक रहे हैं । अक्टूबर तक इसका ट्रायल पूरा हो जाएगा और इसके बाद इसे बाजार में लाया जाएगा। इस वैक्सीन को बनाने के लिए भारत की एक कम्पनी ने कमर कस ली है। कम्पनी ने आक्सफोर्ड के साथ साझेदारी भी की है। 


भारत अपने मैनुफैक्चरिंग सैक्टर के दम पर वैक्सीन का बड़ा दावेदार है। हम दुनिया भर की वैक्सीन का 60 फीसदी निर्माण करते हैं। यूनाइटेड नेशंस को जाने वाली 60-70 फीसदी वैक्सीन मेड इन इंडिया होती है। दुनिया के कई देश भारत के सम्पर्क में हैं। अगर वैक्सीन बन जाती है, तो लोगों तक उसे पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन की जरूरत होगी। भारत के पास पहले से ही शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर है। ऐसे में इस रास्ते से भी भारत में वैक्सीन आ सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटी कम्पनियों के इंसानी परीक्षण सफल होंगे और जल्द से जल्द कोविड-19 महामारी की वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी और मानवता पर छाया इस अदृश्य महामारी का संकट दूर होगा