कोरोना का खौफ़

अमूमन हर साल दुनिया के किसी न किसी भाग में किसी ऐसी बीमारी के वायरस की खबर आ जाती है, जिसके खतरे सामान्य से बहुत अधिक होते हैं। निश्चित रूप से यह दुनिया भर में बदलते पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, मनुष्य की बदलती जीवन शैली और खान-पान के व्यवहार की वजह से होता होगा। लेकिन ऐसे मौकों पर अक्सर चिकित्सा विज्ञान लाचार ही नजर आता है। फिलहाल चीन से आये कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में एक बड़ी चिंता खड़ी हो गई है। जैसे-जैसे चीन में कोरोना वायरस से हुई मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे दुनिया में खौफ़ बढ़ता जा  रहा है। अगर जल्द ही इस वायरस को निष्प्रभावी करने का तरीका नहीं ढूंढ़ा गया, तो ये दुनिया भर कितनी तबाही मच सकता है, इसकी केवल कल्पना मात्र ही की जा सकती है। अब तक इस वायरस से अकेले चीन में ही १६००  से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और यह दुनिया के करीब 40 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। कोरोना वायरस की गंभीरता का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है। इसके चलते ही कई देशों ने अपने नागरिकों को वुहान से एयरलिफ्ट करना शुरु कर दिया है, जिनमें अमेरिका, जापान और भारत शामिल हैं। कई मल्टी नेशनल कम्पनियों ने चीन के वुहान शहर में अपने कार्यालयों को ताला लगा दिया है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगर इस वायरस का असर लम्बे समय तक रहा, तो इससे ना केवल चीन बल्कि दुनिया भर की अर्थवयवस्था को भारी नुकसान होगा। भारत के परिपेक्ष में देखें, तो चीन के पड़ोसी होने के नाते इस वायरस का असर यहां होना स्वाभाविक है, क्योंकि दोनों देशों के नागरिक एक दूसरे के यहां आते जाते रहते हैं। अभी तक चीन से भारत लौटे कई लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण देखने को मिले हैं। इसके साथ ही चीन में भारत के कई सौ छात्र अभी पढ़ रहे है, जो अभी काफी मुसीबत में हैं और उनके परिवारों ने भारत सरकार से इस बारे में अपनी चिंता जताई है। भारत सरकार जहां चीन के वुहान में फंसे भारतीयों को निकालने की व्यवस्था कर रही है, वहीं इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि चीन से आये नागरिकों की थर्मल स्क्रीनिंग के जरिए जांच करके कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को तुरन्त ही अस्पताल में दाखिल किया जाये, ताकि यह वायरस देश के दूसरे नागरिकों को अपनी चपेट में ना ले। हालांकि अभी तक इस वायरस से निपटने की कोई कारगर दवा या वैक्सीन नहीं ढूंढी जा सकी हैं। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतकर ही इसके असर को कम किया जा सकता है