दिल्ली हिंसा में साजिश की बू

रिपोर्ट- बिशन गुप्ता


 



नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में भड़की हिंसा एक बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इसके तार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे से जुड़े हो सकते हैं। दंगाइयों का मकसद ट्रम्प के सामने सीएए विरोध को बड़ा बनाने का हो सकता है, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के समय उन्हें ज्यादा से ज्यादा पब्लिसिटी मिल सके। साथ ही इस मुद्दे पर अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित हो सके, ताकि आगे चलकर इस मुद्दे पर भारत सरकार पर दवाब डाल जा सके। जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियों को पीएफ़आई समेत तीन संगठनों पर शक है। पीएफ़आई पर पहले भी सीएए के नाम पर विरोध प्रदर्शन करने वालों को फंडिंग करने के आरोपों की जांच चल रही है।


शायद इसकी पटकथा ट्रम्प के दौरे के कुछ समय पहले ही लिखी जा चुकी थी । दंगाइयों को पता था कि शाहीन बाग में अब वो किसी तरह का उग्र प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि यहां पर धरना प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, अगर वहां उन्होंने कुछ ऐसा वैसा किया तो उनकी चाल उल्टी पड़ सकती है, लिहाजा उन्होंने सीएए विरोध के नाम पर राजधानी के जाफ़राबाद इलाके को चुना, जो मुस्लिम बहुल्य इलाका है और इसके चलते वहां और उसके आसपास के क्षेत्रों में सीएए के विरोध के नाम पर आसानी से लोगों को जुटाया जा सकता है।


दंगाइयों ने सीएए विरोध के नाम पर अपनी साजिश को योजनाबद्ध ढंग से अन्जाम दिया और ट्रम्प के दौरे से कुछ घंटे पहले ही जाफ़राबाद में लोगों को इकट्ठा करना शुरु कर दिया। सड़कों के किनारों, छतों, बालकनी, पार्कों से सामने पत्थर और आगजनी के सामान पहले ही जमा कर लिये। इसके बाद सड़कें जाम कर दी गयी और सीएए के विरोध में नारेबाजी शुरु कर दी गयी। तय योजना के मुताबिक, विरोध की यह आग दूसरे मुस्लिम बहुल इलाकों खुरेजी और चांद बाग, मौजपुर, करावल नगर, भाजनपुरा तक जा पहुंची। नतीजा यह हआ कि आसपास के कुछ मैट्रो स्टेशनो को बन्द करना पड़ा, जिससे इन क्षेत्रों में अफरातफरी का माहौल बन गया। इन इलाकों में जो चन्द दूसरे समुदाय के लोग थे, वो भी भगाते दिखाई दिये।


इसी बीच दिल्ली के भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक ट्वीट किया कि सीएए के समर्थन में लोग मौजपुर की रेड लाइट पर जुटें। इसके बाद सीएए के समर्थक और विरोधी आमने सामने आ गये। कपिल मिश्रा को शायद यह अन्दाजा नहीं था कि वो दंगाइयों के ट्रैप में फंस चुके हैं । जब तक उन्होंने लोगों से शान्ति की अपील की , तब तक दंगाइयों को मौका मिल गया और उन्होंने जाफ़राबाद, चांदबाग, खुरेजी, गोकुलपुरी, बाबरपुर , ब्रहम्पुरी, शकरपुर में पत्थरबाजी शुरु कर दी। दंगाइयों ने गोकुलपुरी में टायर मार्किट को फूंक दिया, भजनपुरा में एक पैट्रोल पम्प और मारूति के शोरूम समेत कई वाहनों को आग लगा दी। इस दौरान दंगाइयों ने लोगों से उनके नाम पूछ-पूछकर उन्हें पीटा और उनके घरों को आग लगाई। जहां मौका मिला लूटपाट शुरु कर दी। पुलिस दंगाइयों के इरादों को भांपने में पूरी तरह असफ़ल रही।


इस दौरान दंगाइयों के हौसले इतने बुलंद थे कि वो पुलिस के सामने ही तमंचे लहराते और फ़ायरिंग करते दिखाई दिये, जिसमें एक पुलिस कर्मी शहीद हो गया, शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गये। इस हिंसा में अब तक १० लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग अब भी अस्पताल में जिन्दगी और मौत की जंग लड रहे हैं । गौर करने वाली बात यह है कि यह सारी घटनाए उस ८ किमी के दायरे में हुई हैं, जहां मुस्लिम आबादी बहुतायत है।


हालांकि पिछले कुछ घंटों के दौरान गृहमंत्री अमित शाह पुलिस अधिकारियों के साथ कई बार उच्चस्तरीय मीटिंग कर चुके हैं। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और एलजी अनिल बैजल के साथ भी मीटिंग की है, ताकि जल्द से जल्द स्थिति को नियन्त्रित किया जा सके। पुलिस की ओर से कई इलाकों में धारा १४४ लगाई गई है। हिंसक प्रदर्शन वाली ४ जगहों पर कर्फ्यू लगाया गया है। रैपिड एक्शन फ़ोर्स की कई टुकड़ियां दंगाग्रस्त क्षेत्रों में गश्त कर रही हैं। इस बीच दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने कहा है कि उपद्रवियों को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस दंगा करने वालों से सख्ती से निपटेगी।


उधर इस मुद्दे पर पर राजनीति भी तेज हो गयी है। देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने ट्वीट कर कहा कि आम लोग अदूरदर्शी और असंवेदनशील लोगों को चुनने की कीमत चुका रहे हैं है । कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि कुछ लोग दिल्ली को दंगों वाली दिल्ली बनाना चाहते हैं। इन्हीं बयानवीरों के कारण शायद कांग्रेस दिल्ली और देश की राजनीति से साफ़ होने की कीमत चुका रही है, जबकि कांग्रेस और खासकर चिदम्बरम साहब के सरकार में रहने के दौरान दंगों का कितना बिकराल इतिहास रहा है, यह उन्हें अच्छी तरह मालूम है।


इस मौके पर दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी भी राजनीति करने से कहां चूकने वाली। उसके नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा है कि लगता है कि दिल्ली में बाहर से दरिन्दे घुस आये हैं। हिंसा भड़काने वाले दिल्ली के लोग नहीं है। उन्हें कौन समझाये कि पत्थरबाजी करते, फ़ायरिंग करते, लूटपाट करते लोग कैमरे मेम कैद हो चुके हैं और वो जाफ़राबाद और उसके आसपास के लोग ही हैं, जिनकी बाकायदा पहचान की जा चुकी है।


इस दौरान एआईएमआईएम चीफ़ असदुद्दीन औवेसी भी राजनीति करने से बाज नहीं आये। उन्होंने दिल्ली हिंसा पर आरोप लगते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस हिंसा रोकने में नाकाम रही है। वो भीड़ के साथ मिल गई है। अगर पीएम इस क्षेत्र में शान्ति चाहते हैं, तो इस पूरे इलाके को उन्हें सेना के हवाले कर देना चाहिए।


उधर पर्दे से आउट लेकिन लाईमलाइट में आने के शौकीन लोगों को भी यह मौके काफ़ी भाते है। सो जावेद अख्तर, अनुराग कश्यप, विशाल भारद्वाज, ईशा गुप्ता, स्वरा भासकर जैसे लोग भी सोशल मीडिया के जरिये तुरन्त ही अपने फ़ेस को चमकाने में लग गये हैं , हालांकि सीएए के विरोध पर इनका ज्ञान कितना है, यह कई बार जगजहिर हो चुका है। ऊपर से दिल्ली की हिंसा पर इनकी टिप्पणी ऐसी कि भगवान बचाये इनके कचरा ज्ञान से।