नागरिकता संशोधन कानून से नागरिकता मिलेगी , छिनेगी नहीं

रिपोर्ट - सतीश कौशिक



केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक बार फिर अपने वादे को पूरा किया और देश में नया नागरिकता संशोधन विधेयक पास करा कर लागू करने का काम किया। हालांकि कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने इस विधेयक को लेकर आशंका जताई थी कि देश के मुस्लिमों के अधिकार इस विधेयक से खत्म हो जाएंगे। मगर गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया कि मोदी सरकार का नया नागरिकता संशोधन विधेयक किसी की नागरिकता छीनने वाला विधेयक नहीं है, बल्कि इस विधेयक से उन लोगों को भारत की नागरिकता प्राप्त होगी ,जो काफी लंबे वक्त से भारत में शरणार्थियों के तौर पर रह रहे हैं। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान बांग्लादेश से भारत की सरजमी पर आए हजारों शरणार्थियों को इस विधेयक के लागू होने के बाद भारत की नागरिकता प्राप्त होगी। पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश से बहुत बड़ी संख्या में हिंदू परिवार भारत में शरण लेने पहुंचे थे। इनमें सिख, बौद्ध, हिंदू और ईसाई परिवार शामिल हैं । पाकिस्तान जैसे कट्टरपंथी देश में एक लंबे वक्त से हिंदूओं के ऊपर अत्याचार होते रहे हैं, जिसकी वजह से हजारों परिवार भारत आ गए थे। ऐसे परिवारों को कानूनी रूप से अब भारत का नागरिक माना जाएगा। नरेन्द्र मोदी सरकार ने जब लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया, तो कांग्रेस और वामदलों ने हल्ला मचाया और इस बिल को मुसलमानों के खिलाफ बताया। लोकसभा में यह विधेयक आसानी से पास हो गया और राज्यसभा में भी शिवसेना के विरोध के बावजूद सरकार इस विधेयक को 125 के मुकाबले 99 मतों से पास कराने में सफल रही। शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के आग्रह के बाद इस विधेयक का विरोध करना शुरू किया, जबकि एक लंबे वक्त से शिवसेना इस बिल के समर्थन में जलसे कर रही थी। दूसरी तरफ देश के पूर्वोत्तर के राज्यों में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ व्यापक आंदोलन खड़ा हो रहा है । इन लोगों को आशंका है कि पूर्वोत्तर में सरकार बड़ी संख्या में शरणार्थियों को नागरिक बना सकती है, जबकि इन आशंकाओं को केंद्र सरकार ने निराधार बताया है। नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि देश में रहने वाले मुसलमानों को इस विधेयक से तनिक भी डरने की जरूरत नहीं है ,क्योंकि उनके हकों पर इस विधेयक से कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। सरकार ने साफ किया कि इस विधेयक से करीब 6 लाख परिवारों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने में आसानी होगी। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध, ईसाई परिवारों को अब भारत की नागरिकता लेने का समय 11 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया है । इस विधेयक पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि पाकिस्तान से जो अनुसूचित जाति के परिवार भारत में आए हैं, उन्हें इज्जत के साथ रहने का मौका मिलेगा और भारत सरकार उनके सभी हकों की रक्षा करेगी, जबकि पाकिस्तान में वह लोग नरक से भी बुरा जीवन गुजार रहे थे। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस द्वारा भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि यह विधेयक देश के मुसलमानों के खिलाफ है। जबकि इस विधेयक का सीधा संबंध उन हजारों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई परिवारों से है, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में शरण लेने पहुंचे थे। इस विधेयक से करीब 6 लाख हिंदू परिवारों को भारत की नागरिकता प्राप्त होगी। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि इस विधेयक से पूवोत्तर खासतौर पर असम की संस्कृति और परंपरा को कोई खतरा नहीं है।  नागरिकता संशोधन विधेयक से असम की राजनीतिक भाषायी और जमीन से जुड़े अधिकारों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने के आश्वासन के बाद भी वहां अशांति का माहौल बना हुआ है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में असम की आबादी सबसे ज्यादा है, जहां करीब तीन करोड़ की आबादी निवास करती है। जानकारों का कहना है कि असम की तीन स्वायत जिला परिषदों को छोड़कर यह कानून वहां के बाकी जिलों में लागू होगा, साथ ही त्रिपुरा में एक स्वायत परिषद, मेघालय में तीन स्वायत जिला परिषदों और मिजोरम की तीन जिला स्वायत परिषदों में यह कानून लागू नहीं होगा। फिलहाल केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों की स्थिति पर निगाह रखे हुए है। साथ ही केंद्र सरकार के सारे मंत्री इस कानून के बारे में देश की जनता को बताने के लिए सारे देश में निकलने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि इस कानून के बारे में जो भ्रम कांग्रेस द्वारा फैलाया जा रहा है उसे हम बेनकाब करेंगे।