कमलेश तिवारी हत्याकाण्ड, इनसाइड स्टोरी


हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में यूं तो रोज़ नये खुलासे हो रहे हैं, लेकिन अब तक मिले इन्पुट से ये बात साफ़ है कि इस हत्याकाण्ड को अंजाम देने वाले अशफ़ाक शेख और मुईनुद्दीन पठान अकेले नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे सालों से कोई बड़ा ग्रुप, संगठन या संस्था काम कर रही थी , जो हत्यारों को न केवल धन से बल्कि तन और मन से भी सपोर्ट कर रही थी।  अभी तक इस हत्याकाण्ड में कई मौलानों के साथ ही सुन्नी यूथ ब्रिगेड नाम के एक संगठन का हाथ होना सामने आया है, जो पैसे और दूसरे तरीकों से हत्यारों की मदद कर रहे थे। सुन्नी यूथ ब्रिगेड नगपुर का सैयद आसिम अली नाम का शख्स चलाता है, जिसने यू ट्यूब पर वीडियों के माध्यम से पहले भी कमलेश तिवारी को हत्या की धमकी दी थी। इसके साथ ही इस हत्याकाण्ड में कुछ ऐसे लोगों के भी नाम सामने आये हैं, जिन्होंने हत्यारों को पैसे और पनाह दी थी। पुलिस ने इस हत्याकाण्ड मे अब तक सूरत, नागपुर, बरेली, शाहजहांपुर से कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जो किसी ना किसी रूप में इस हत्याकण्ड से जुड़े रहे हैं।


दरअसल हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश करीब ३ साल से बुनी जा रही थी। जब २०१५ के दौरान उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ़ विवादित बयान दिया था, तभी से कुछ कट्टरपंथी उनकी जान के दुश्मन बन गये थे। उन्हें सोशल मीडिया पर धमकिया दी गयीं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और ना ही उन्हें कोई सुरक्षा मुहैया करवाई गयी, हालांकि उन्होंने कई बार इसके लिए पुलिस से गुहार लगाई थी। उधर कुछ कट्टरपंथी लोग उनके खिलाफ़ साजिश बनाते रहे, लेकिन किसी कारण वो अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाये। 


 लेकिन करीब दो महीने पहले दुबई में काम करने वाला रशीद पठान उर्फ़ राशिद नाम का शख्स अपने गृह नगर सूरत आया कमलेश तिवारी की हत्या को अंजाम देने के लिए। उसने इस साजिश को अंजाम देने के लिए मौलाना मोहसिन शेख, फ़ैजान यूनुस ,अशफ़ाक हुसैन ,मुईनुद्दीन पठान और कई मौलानाओं को अपने साथ जोड़ा। वारदात को अन्जाम देने और उसके बाद के घटनक्रम की भी पूरी व्यूह रचना तैयार की गयी। इसी बीच तय योजना के मुताबिक, रशीद पठान, फ़ैजान यूनुस, अशफ़ाक, मुईनुद्दीन पठान और कुछ अन्य लोगों के बीच बैठक हुई, जिसमें कमलेश तिवारी की हत्या की रूपरेखा तय की गयी। इसके लिए अशफ़ाक और मुईनुद्दीन पठान को चुना गया। इस दौरान अशफ़ाक और मुईनुद्दीन पठन ने नागपुर निवासी सुन्नी यूथ ब्रिगेड के सैयद आसिम अली से भी सम्पर्क किया। सूरत और बरेली के भी कई मौलानाओं से भी सम्पर्क साधा गया , ताकि घटना के बाद इन सभी लोगों से मदद ली जा सके। इसके बाद अशफ़ाक ने अपने मिशन को अन्जाम देने के लिए कमलेश तिवारी को ट्रैक करना शुरू कर दिया। वो कमलेश की छोटी से छोटी गतिविधि पर नजर रखता। इसी क्रम में उसने अपने ऑफ़िस में काम करने वाले अपने एक सहयोगी रोहित सोलंकी के नाम से फ़र्जी फ़ेस बुक आईडी और आधार कार्ड बनवा लिया। उसमें सारी डिटेल रोहित की थी, बस फ़ोटो अशफ़ाक का था। इसके बाद अशफ़ाक ने रोहित सोलंकी के नाम से बनायी गयी फ़र्जी फ़ेसबुक आईडी से हिन्दू समाज पार्टी के गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष जैमिन दवे बापू से सम्पर्क किया जैमिन ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी से सम्पर्क कर रोहित सोलंकी उर्फ़ अशफ़ाक को सूरत शहर की आईटी सेल के प्रचारक पद पर नियुक्त कर दिया। इसके बाद रोहित सोलंकी उर्फ़ अशफ़ाक ने एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया , जिसमें उसने कमलेश तिवारी के साथ ही पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर राय मोन, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी गौरव सोलंकी सहित कई अन्य पार्टी पदाधिकारियों को भी जोड़ा। व्हाट्सअप ग्रुप में वो सूरत में पार्टी की गतिविधियों के बारे में सूचनाएं साझा करता। उसने अपनी पार्टी के नाम से एक फ़ेसबुक एकाउंट भी शुरू किया था, जिससे हजारों लोग जुड़े थे। इसके साथ ही वो व्हाट्सअप ग्रुप और फ़ेसबुक पर हिन्दू समाज से सम्बंधित श्लोक और चौपाई पोस्ट करता, ताकि खुद को कट्टर हिन्दू की तरह पेश कर सके। उसकी सक्रियता को देखकर कमलेश और पार्टी के दूसरे पदाधिकारी उसके बहुत प्रभावित थे। वो उससे बात भी करने लगे।  इस तरह धीरे-धीरे उसका कमलेश से सम्पर्क बढ़ता चला गया। जब अशफ़ाक को लगा कि अब वो अपने काम को अंजाम तक पहुंचा सकता है, तो उसने इस षड़यंत्र से जुड़े बाकी लोगों से संपर्क साधा। इसके बाद रशीद पठान, फ़ैजान यूनुस, अशफ़ाक, मुईनुद्दीन और कई मौलाना एक बार फ़िर इकट्ठे हुए और कमलेश तिवारी की हत्या करने के षड़यंत्र को अन्तिम रूप दिया गया। अशफ़ाक और और मुईनुद्दीन को यह बताया गया कि वारदात को अन्जाम देने के बाद उन्हें कहां कहां पहुचना है। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि उन्हें कुछ नहीं होगा। इसके अलावा अगर वो इस दौरान पकड़े भी गये, तो उन्हें हर हालत में छुड़ा लिया जाएगा। इस दौरान उनके परिजनों का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। कमलेश तिवारी की हत्या के लिए ६००० रुपये में एक कट्टा खरीदा गया। एक चाकू खरीदा गया। साथ ही दोनों को कई दिनों तक चाकू और कट्टा चलाने की प्रैक्टिस करवाई गयी। अशफ़ाक ने लखनऊ निकलने से पहले पार्टी के गुजरात अध्यक्ष जैमिन दवे बापू को भी बताया। उसने उन्हें यह भी बताया कि वो कमलेश तिवारी से मिलकर उन्हें ५० हजार रूपये पार्टी फंड में देगा। उसने अपने लखनऊ दौरे के बारे में पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर राय मोनू, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी गौरव सोलंकी को भी बताया, ताकि उन्हें भी खत्म कर दिया जाये। लेकिन उन्होंने अपनी व्यस्तता के चलते रोहित सोलंकी उर्फ़ अशफ़ाक से मिलने से इंकार कर दिया। अशफ़ाक ने फ़ैजान से एक मिठाई का डिब्बा मंगवाया और उसमें चाकू और देसी कट्टा रखा, ताकि किसी को उस पर शक न हो। तय समय पर वो लखनऊ स्थित कमलेश तिवारी के ऑफ़िस पहुंच गये और उनसे पार्टी गतिविधियों के बारे में बात करने लगे। इस दौरान कमलेश तिवारी ने उन्हें दही बड़ा खिलाया, चाय नाश्ता खिलाया। इसके बाद अशफ़ाक ने कमलेश तिवारी के ऑफ़िस में काम करने वाले नौकर को पान मसाला लाने के लिए भेज दिया। उधर जैसे ही कमलेश का नौकर अशफ़ाक के लिए पान मसाला लेने गया, मुईनुद्दीन ने कमलेश तिवारी का मुंह दबोच लिया, तो उधर अशफ़ाक ने उन पर चाकू से दनादन वार कर दिये, इस दौरान अशफ़ाक को भी चाकू लग गया। इसके बाद उसने कमलेश को गोली मार दी, जो मुईनुद्दीन की अंगुली को घायल कर कमलेश को लगी। इसके बाद दोनों मौके से फरार हो गये। उधर कमलेश का नौकर जैसे ही पान लेकर ऑफ़िस पहुंचा, तो उसने तुरन्त ही इसकी सूचना आसपास के लोगों को दी, इसके बाद उन्हें लहूलुहान हालत में किसी तरह अस्पताल पहुंचाया गया , लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी। वहीं मौके पर पहुंची पुलिस ने सबूत जुटाने शुरु कर दिये। कमलेश के ऑफ़िस में लगे सीसीटीवी में ये पूरी वारदात कैद हो चुकी थी। वहीं मौके से पुलिस को वो मिठाई का डिब्बा मिला, जिसमें हत्यारे कट्टा और चाकू रखकर लाये थे। वो मिठाई सूरत की मशहूर घारी मिठाई थी। इसके बाद यूपी के डीजीपी के द्वारा गुजरात के डीजीपी से सम्पर्क किया गया और उन्हें सारी कहानी बताई गयी। इसके बाद गुजरात एटीएस हरकत में आ गयी और जल्द ही उस दुकान पर पहुंच गयी, जहां से यह मिठाई खरीदी गयी। दुकान में लगे सीसीटीवी फुटेज को पुलिस ने चैक किया, तो फ़ैजान नाम के एक संदिग्ध तक पुलिस पहुंच गयी। इसके बाद पुलिस ने उसकी शिनाख्त पर मोहसिन शेख और रशीद पठान को भी उठा लिया। जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो तीनों आरोपियों ने ना केवल अपना गुनाह कुबूल कर लिया बल्कि सारी कहानी बयां कर दी। उधर उत्तर प्रदेश पलिस की सक्रियता देखकर दोनों  हत्यारे अशफ़ाक और मुईनुद्दीन पठान तय योजना के मुताबिक इधर उधर भाग रहे थे और उन्हें अपने आकाओं से इस बारे में पूरी मदद मिल रही थी, लेकिन पुलिस भी उसी रफ़्तार से उनके पीछे पड़ी थी। अब तक उनके सारे पैसे भी खत्म हो चुके थे। वो मदद के लिए बरेली के एक मौलवी के यहां रुके। लेकिन पुलिस जब तक मौलवी के यहां पहुंची, हत्यारे वहां से भाग निकले और वहां से शाहजहांपुर पहुंच गये और एक होटल में रूम किराये पर लिया, लेकिन वहां भी पुलिस के डर के चलते उन्हें भागना पड़ा। इसके बाद उन्होंने लखीमपुर खीरी पहुंचकर एक टैक्सी किराये पर ली और नेपाल भागने की योजना बनाई। सारा कुछ तय योजना और इस षड़यंत्र से जुड़े लोगों के इशारे पर ही हो रहा था। अशफ़ाक और मुईनुद्दीन को बाकायदा हर पल सूरत और दूसरी जगहों पर बैठे उनके आकाओं के द्वारा कमांड दी जा रही थी। उधर सूरत से गिरफ्तार आरोपियों की शिनाख्त पर गुजरात एटीएस ने अशफ़ाक के परिजनों को ट्रैप कर लिया और उनसे फ़ोन करवाकर उन्हें गुजरात -राजस्थान बॉर्डर पर शामलाजी के पास बुलवाया गया। जब अशफ़ाक के पास उसकी पत्नी और पिता का फ़ोन आया, तो वो उनके कहे अनुसार शामलाजी पहुंच गये , जहां पहले से जाल बिछाये बैठी गुजरात एटीएस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। सभी आरोपियों ने इस बात को कबूला है कि २०१५ में कमलेश तिवारी द्वारा दिये गये बयान के चलते उन्होंने इस पूरी वारदात की स्क्रिप्ट लिखी और उसे अन्जाम तक पहुंचाया था।