मोदी सरकार के 100 दिन

रिपोर्ट -राजेश कुमार सिंह 



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के सौ दिन पूरे कर लिए हैं। यानी बीते 100 दिनों में मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक जीत हासिल कर ऐतिहासिक फैसले लिए, बल्कि अपने कई कदम से देशवासियों को चौंका दिया। आज तस्वीर ये है की उनके कई महत्वपूर्ण फैसले से देश के भूगोल पर भी असर पड़ा।अपने वोटरों की नब्ज टटोलने में माहिर पीएम मोदी ने असंभव लगने वाले फैसले को संभव बना कर न केवल भविष्य ही बदला, बल्कि देश की पिछले 63 साल पुरानी हवा का रूख भी बदल डाला। पीएम मोदी को सौ दिन के इस कार्यकाल को कई ऐतिहासिक और साहसिक फैसलों के लिए जाना जाएगा। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निष्प्रभावी करने का फैसला हो या मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत देने के लिए कानून की बात हो, या फिर सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला संसद सत्र रिकार्ड कामकाज के लिए जाना जाएगा, जिसने पहले के तमाम रिकार्ड तोड़ दिए और एक ही सत्र के दौरान 36 विधेयकों को मंजूरी मिली। । हालांकि दूसरी पारी के सौ दिनों में पीएम मोदी के द्वारा किए सात देशों के विदेशी दौरों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को दिया गया आयाम चर्चा में रहा, तो मोदी और ट्रंप की मुलाकात पर पूरी दुनिया का खास फोकस दिखा।पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरी पारी के शुरुआती सौ दिन में सात देशों के दौरे किए। इसमें जहां पड़ोसियों से संबंधों को और मजबूत करने के लिए 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' पर अमल किया, बल्कि दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्रों में पुराने सहयोगी रहे रूस का भी दौरा कर धाक जमाई । जबकि फ्रांस में जी-7 सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी मीटिंग चर्चा में रही। इस दौरान विदेशी मीडिया में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छाए रहे। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के सबसे बड़े अखबारों में से एक 'खलीज टाइम्स' ने पीएम मोदी का लंबा-चौड़ा इंटरव्यू भी छापा। लेकिन सरकार के सामने अब भी कई चुनौतियां खड़ी हैं, तो ऐसे में सरकार के कामकाज का लेखा जोखा किया जाना लाजिमी है। साथ ही इस कार्यकाल में । सरकार का पहला कैबिनेट फैसला क्या था और क्या थी सरकार की पहली कूटनीतिक जीत।


पड़ोसी देशों को तरजीह देने का संदेश देने के इरादे से सात जून को बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2.0 में यानी अपने दूसरे कार्यकाल में पहले विदेश दौरे पर मालदीव पहुंचे। वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुलाकात की। मालदीव दौरे के पीछे पीएम मोदी का मुख्य उद्देश्य "नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत सुरक्षा, विकास की दृष्टि के साथ समुद्री पड़ोसी के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करना था। दरअसल मालदीव की दक्षिण एशिया और हिन्द महासागर में जो स्ट्रेटजिक (सामरिक) लोकेशन है, वो भारत के लिए बेहद अहम है। मालदीव वो देश है, जहां पिछले कुछ सालों में चीन ने अपना प्रभुत्व बढ़ाया है। चीन ने इस देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भारी निवेश किया है। लक्षद्वीप से मालदीव की दूरी मात्र 700 किलोमीटर है। ऐसे में समझा जा सकता है कि पीएम मोदी के मालदीव दौरे की कितनी अहमियत रही। दौरे के दौरान पीएम मोदी को मालदीव के सर्वोच्च सम्मान, निशान इजुद्दीन से भी नवाजा गया। आठ जून को ईस्टर हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दर्शाने के लिए पीएम मोदी नौ जून को कोलंबो पहुंचे। यहां श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना से भेंट की और दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि आतंकवाद एक साझा खतरा है, जिससे निपटने के लिए ठोस कार्रवाई की जरूरत है। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक और रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर खास जोर दिया गया। पीएम मोदी ने 21 अप्रैल को सेंट एंटनी चर्च में संडे ईस्टर के मौके पर हुए बम धमाकों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी। आपको याद होगा कि इस हमले में 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिसमें 11 भारतीय थे16 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान पहुंचे। आपसी संबंधो को और मजबूत बनाने के लिए भूटान के राजा के साथ पीएम मोदी ने बातचीत की। उन्होंने रॉयल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों से भी संवाद में भाग लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अगस्त को फ्रांस के दौरे पर गए। फ्रांस में वह जी-7 सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित दुनिया के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात हुई। उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉ और प्रधानमंत्री फिलिप के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत की। फ्रांस में भारतीय समुदाय के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवाद किया। 1950 और 1960 में फ्रांस में दो विमान कैश होने पर मारे गए भारतीयों को श्रद्धांजलि भी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 और 24 अगस्त के बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दौरे पर रहे। क्राउन प्रिंस अबू धाबी, शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान के साथ उन्होंने भेटवार्ता की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई का सर्वोच्च जायद सम्मान भी हासिल किया। वहां प्रधानमंत्री मोदी ने "रूपे कार्ड भी लांच किया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24-25 अगस्त को बहरीन का दौरा किया। किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला बहरीन दौरा है। प्रिंस खलीफा ने विशेष आदर देते हुए हवाई अड्डे पर पीएम मोदी को रिसीव किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहरीन दौरे के दौरान चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जो अंतरिक्ष, संस्कृति, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और रुपे कार्ड से संबंधित थे। पीएम मोदी ने बहरीन में अपने समकक्ष प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा के साथ बातचीत के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम दिए जाने की बात कही। इस मौके पर भारतीय समुदाय से भी उन्होंने संवाद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने मित्र राष्ट्र रूस का भी दौरा किया। वह दो दिन के दौरे के लिए चार सितंबर को रूस पहुंचे। रूस में आयोजित ईस्टर्न इकोनोमिक फोरम (ईईएफ) की बैठक में हिस्सा लेने के दौरान जापान के पीएम शिंजो आबे, मलेशियाई प्रधानमंत्री डॉ. महातिर मोहम्मद और मंगोलिया के राष्ट्रपति खाल्तमागिन बत्तुलगा से भी भेंट की। नेताओं संग मंच साझा करने के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि 2024 तक भारत आर्थिक महाशक्ति बनेगारूस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ भारत-रूस सालाना शीर्ष बैठक में भी हिस्सा लिया। 31 मई को हुई पहली कैबिनेट बैठक में राष्ट्रीय रक्षा निधि के तहत चल रही प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना में बदलाव की घोषणा की। आतंकी-नक्सली हमले में शहीद जवानों के बेटों के लिए छात्रवृत्ति की राशि दो से बढ़ाकर ढाई हजार रुपये प्रति माह की । बेटियों के लिए यह रकम तीन हजार रुपये हुई। जून में एससीओ सम्मेलन में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान को नजर अंदाज कर दर्शाया कि आतंक पर ठोस कार्रवाई के बिना वार्ता संभव नहीं। अगस्त में जी-7 सम्मेलन में कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछालने की पाक की कोशिश नाकाम की। कश्मीर को आंतरिक मामला बताकर साफ किया कि कश्मीर मसले पर तीसरे पक्ष के दखल की गुंजाइश नहीं है। 24 अगस्त को संयुक्त अरब अमीरात ने मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ जायद' से नवाजा। 25 अगस्त को मोदी बहरीन के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां' से सम्मानित किए गए। जानकारों ने इसे मुस्लिम देशों के समर्थन के तौर पर भी देखा। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सौ दिनों को बीजेपी 'मजबूत सरकार के कामकाज के रूप में प्रचारित कर रही है। ऐसा करने के लिए पार्टी और सरकार के पास वजहें भी हैंइन सौ दिनों में संसद का एक सत्र  हुआ है और उस सत्र ने कामकाज के तमाम पुराने रिकार्ड तोड़ दिएयूं तो सरकार 2014 से भी प्रचंड बहुमत के साथ 2019 में आई थी। लेकिन राज्यसभा में अब तक उसका बहुमत नहीं था । ऐसे में सरकार को अंदेशा था कि कहीं पिछले कार्यकाल की तरह उसके अहम बिल राज्यसभा में ना रुक जाएं। लेकिन इस बार संसद सत्र के पहले दिन से सरकार आक्रामक दिखाई दी, सरकार के रुख से साफ दिखाई दे रहा था कि राज्यसभा में विपक्ष के बहुमत को वो अपने कामकाज में बाधा नहीं बनने देगी।