बीएसईएस के लुटेरे


दिल्ली में बिजली की सप्लाई का काम तीन निजी क्षेत्र की कंपनियों के पास है । ये कंपनियां है टाटा पॉवर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड .। तीनों कंपनियों का दावा हैं कि वे उपभोक्ताओं को अच्छी सुविधा उपबल्ध करा रही है और बहुत सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने का काम कर रही है। मगर सच्चाई इससे कोसों दूर है । बीएसईएस यमुना पावर के अधिकारियों ने बिजली की आपूर्ति की देखभाल के लिए लगभग सभी स्तर पर ठेके पर कर्मचारियों को रखा हुआ है  । इन कर्मचारियों की ड्यूटी है कि वे बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों का तुरंत निराकरण करें और कहीं से भी कोई शिकायत आती है तो उसे ठीक करें.। मगर इसी की आड़ में बीएसईएस के ठेके के कर्मचारियों ने एक ऐसा गोरखधंधा दिल्ली में खड़ा कर दिया है, जिसके चलते रोज लाखों रुपये का चूना उपभोक्ताओं को लगाया जा रहा है।दरअसल उपभोक्ताओं के घर के बाहर कंपनियों ने इलेक्ट्रोनिक मीटर लगा रखा है ।मीटर को घर के बाहर इसलिए लगाया गया, ताकि उपभोक्ता छेड़छाड़ न करे। वैसे आमतौर पर दिल्ली का उपभोक्ता बिजली के मीटर के छेड़छाड़ नहीं करता, क्योंकि उसे सस्ती और अच्छी बिजली प्राप्त हो रही है। इन मीटरों की रीडिंग के लिए भी बीएसईएस यमुना पावर ने निजी स्टाफ रखा हुआ है। यह स्टाफ महीने भर दिल्ली की गलियों में घूम घूमकर घर के बाहर लगे मीटर से रीडिंग लेता है, जिसके बाद उस रीडिंग के मुताबिक उपभोक्ताओं के पास बिल भेजा जाता है यहां तक तो सारा काम एक सिस्टम के तहत होता है । मगर असली गोरखधंधा इसके बाद शुरू होता है.। मीटर रीडिंग लेने वाला स्टाफ अगर महीने भर में पांच हजार घरों की रीडिंग लेता है, तो वह हर माह उसमें से पांच सौ मीटरों के बारे में यह रिपोर्ट देता है कि इस इस नंबर वाले मकान का मीटर खराब है, उसे बदल दिया जाए ।वस्तु स्थिति में मीटर बिलकुल ठीक होता है और उपभोक्ता को इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि उसके मीटर के बारे में गलत रिपोर्ट मीटर रीडर ने दे दी है.। मीटर रीडर की रिपोर्ट के बाद फील्ड स्टाफ उस उपभोक्ता के घर आता है और कहता है कि सर आपका मीटर खराब है , हमें इसे बदलना है.। उपभोक्ता कहता हैं ठीक है बदल दो, मगर क्या इसमें कोई खर्चा आएगा। इस पर फील्ड स्टाफ कहता है, नहीं सर खर्चा क्यों आएगा बीएसईएस स्वयं बदल रही है, आपके मीटर के बारे में मीटर रीडर ने रिपोर्ट दी थी । उपभोक्ता कहता है ठीक है भाई बदल दो..बस यही से फील्ड स्टाफ का खेल शरू होता है.। वह मीटर खोलता है और इसी बीच उपभोक्ता की नजर बचते ही मीटर के अंदर एक बायर लगा देता है । उपभोक्ता को इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि उसके मीटर में कुछ किया गया है। इसके बाद फील्ड स्टाफ उपभोक्ता से कहता है, सर मीटर में तो आपने टैम्परिंग करवा रखी है.। इसकी तो लैब में जांच होगी और जांच में टैम्परिंग पाई गई तो आपके ऊपर भारी जुर्माना पड़ेगा। इसके बाद वो मीटर का फोटो भी ले लेता है।वहीं उपभोक्ता कहता है कि भाई दिल्ली में इतनी सस्ती बिजली मिल रही है, मैं टैम्परिंग क्यों करवाऊंगा? मैंने तो कभी इस मीटर को हाथ भी नहीं लगाया .। यह तो घर के बाहर लगा है । इसें कोई क्यों छेड़ेगा। फील्ड स्टाफ कहता है सर हम कुछ नहीं कर सकते .। हम इसे लैब में जमा कर देंगे, तो फिर वहां से जुर्माने की रिपोर्ट आपके पास आएगी। उपभोक्ता डर जाता है कि न जाने कितना जुर्माना लगे। इसी बीच फील्ड स्टाफ का एक आदमी उपभोक्ता से कहता है कि सर आप क्यों चक्कर में पड़ते हैं, हम ही इसे ठीक कर देंगे, लेकिन इसमें चार्ज लगेगा.। इस पर फील्ड स्टाफ एक जेई टाइप के व्यक्ति को सामने करके कहता है,कि ये इस इलाके के जेई साहब हैं, इनसे बात कर लो। जेई साहब कहते हैं, भाई टैम्परिंग का जुर्माना पचास हजार पड़ता है, आप १० हजार दो तो मैं अभी इसे खत्म कर देता हूं .। बहुत कहासुनी के बाद मामला पांच से दस हजार पर निपटता है उपभोक्ता रुपया देता है और फील्ड स्टाफ कहता है अब आप मस्त रहे. लैब से कोई रिपोर्ट नहीं आएगी। इस तरह दिल्ली के हर मोहल्ले में हर दिन बीएसईएस का फील्ड स्टाफ कई घरों का मीटर बदलता है और इसी तरह की लूट करता है । इस खुली लूट में बीएसईएस के ठेके के कर्मचारी, अधिकारी और फील्ड के स्टाफ सभी शामिल है। लाखों रुपया रोज इस तरह मीटर टैम्परिंग के नाम पर बीएसईएस के फील्ड कर्मी उपभोक्ताओं से लूट रहे हैं । इस संबंध में जब अराइज न्यूज ने कई उपभोक्ताओं से बात की, तो उन्होंने सच्चाई को स्वीकार किया और यह भी बताया कि टैम्परिंग क्या होती है। उन्हें इसका ज्ञान तक नहीं है। साथ ही जब दिल्ली में इतनी सस्ती बिजली मिल रही है, तो फिर कोई उपभोक्ता क्यों टैम्परिंग कराएंगा .। इस संबंध में जब अराइज न्यूज ने ठेका कमियों से बात की , तो उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया और सारा मामला अपने अधिकारियों पर डाल दिया। अराइज न्यूज ने जब पूछा कि क्या वास्तव में टैम्परिंग होती है तो एक फील्डकर्मी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, नहीं होती है .। हां मीटर खराब होता है, जो किसी और वजह से रुक जाता है क्योंकि इलेक्ट्रानिक मीटरों में इस तरह की शिकायत आती ही हैं। टैम्परिंग का डर दिखा कर कुछ फील्डकर्मी उपभोक्ता से पैसा वसूल लेते हैं और आपस में हिस्सा बांट लेते हैं। दिल्ली के उपभोक्ताओं को इस तरह का चूना खुलेआम बीएसईएस के फील्ड स्टाफ द्वारा लगाया जा रहा है, जिस पर अधिकारी आंखें बंद किए बैंठ है