कश्मीर में नयी सुबह


 मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर और राज्य को जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के रूप में दो केन्द्र शासित राज्यों में बांटकर दशकों पुरानी कश्मीर समस्या को सुलझाने की कोशिश की है। वर्षों से जम्मू कश्मीर के लोग जिन हालातों में जी रहे थे, उसमें इस तथ्य को तो हर कोई मानता था कि वहां हालातों को बदलने की जरूरत है। लेकिन किसी ने कोई ठोस पहल नहीं की। हां, परानी सरकारों ने जो पहल की, वार्ताएं की, अध्य्यन दल बनाये, मध्यस्थ नियक्त किये, लेकिन उनका जो हश्र होना था, वही हुआ। लेकिन मोदी सरकार ने उन चीजों को नहीं दोहराया और साहसिक फैसला लेते हुए जम्मू कश्मीर के लोगों को नारकीय हालातों से निकालने की अहम कोशिश की है। यही देश की मांग भी है। इसी भावना को देखते हुए संसद में ज्यादातर दलों ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के पुनर्गठन विधेयक का समर्थन किया। हालांकि कांग्रेस ने संसद में विधेयक का विरोध किया, लेकिन पार्टी के अन्दर कई बड़े नेता मोदी सरकार के फैसले का समर्थन करते दिखे। यहां तक कि इस मुद्दे पर कई नेताओं ने तो कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र तक दे दिया। जम्मू कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने जो महत्वपूर्ण फैसला लिया, उसकी अन्तिम समय तक किसी को कानोंकान खबर तक नहीं लगी। हालांकि सरकार ने किसी भी हालात से निबटने के लिए पहले से ही फुलप्रूफ़ प्लानिंग की, ताकि इस फैसले को लेकर राज्य में हालात सामान्य बने रहें। इस दौरान वहां सरकार ने जो जरूरी कदम उठाये, उसके बाद वहां हलचल होना स्वाभाविक था। वहां बड़े पैमाने पर सैन्य बलों की तैनाती की गयी, अमरनाथ यात्रा को स्थगित करके यात्रियों व अन्य पर्यटकों को वहां से वापस भेज दिया गया। यहां तक कि राज्य की जूनियर क्रिकेट टीम को प्रशिक्षण देने वाले खिलाड़ियों को भी राज्य छोड़ने के लिए कह दिया गया। जम्मू कश्मीर के कई नेताओं को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। टेलीफोन व इंटरनेट सेवाएं भी स्थगित कर दी गयीं। लेकिन इन सबके के बावजूद कोई यह अनुमान नहीं लगा पाया कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर पर इतना महत्वपूर्ण फैसला लेने वाली है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सरकार के स्तर पर भी केवल कुछ ही लोग ऐसे थे, जिन्हें इस फैसले की जानकारी थी और पूरे मामले को उन्हें ही हैंडिल करना था। उम्मीद की जानी चाहिए कि मोदी सरकार के इस फैसले से उस राजनीति का अन्त होगा, जो अलगाव के समर्थन में खड़ी दिखती थी। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों के दिन बहुरेंगे और इन दोनों केन्द्र शासित राज्यों में विकास की नयी बयार बहेगी, जिसका लाभ अन्ततः वहां के आम लोगों को मिलेगा।