आदत से मजबूर हैं आजम खान

 



रिपोर्ट- राजेश कुमार सिंह


 



लोकसभा में आजम खान ने जिस तरह से आसन पर विराजमान रमादेवी के बारे में कहा उसे सुनकर वहां बैठे सभी सदस्य हक्के-बक्के रह गए। आजम खान ने जो भी बोला वह अनजाने में नहीं बोला, बल्कि सोच समझ कर बोला और इस दौरान जब उन्हें लगा कि उनके मुंह से निकले शब्द गलत है तो वे फौरन अपनी बात से पलटने लगे और लोकसभा की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ सदस्या रमा देवी को अपनी बड़ी बहन बताने लगे। मगर उनकी जुबान से  तीर निकल चुका था और जब तक वे अपने बोले शब्दों पर कुछ बोलते, सदन में बैठे दूसरे सदस्यों ने उन्हें रमादेवी से माफी मांगने को कहा। आजम खान अगर सलीके के राजनेता होते तो फौरन माफी मांग लेते।  मगर वे उसके  बाद सदन से यह कहते हुए बाहर चले गए कि उन्हें तो बोलने ही नहीं दिया जा रहा। आजम खान ने लोकसभा की वरिष्ठ सदस्य के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया , वो  कहीं से भी संसदीय नहीं हो सकते। सदन में सभी दलों की महिला सदस्यों ने एक स्वर में आजम खान के खिलाफ जमकर हल्ला बोला और उन्हें रमादेवी से माफी मांगने को कहा। मगर देखिए आजम खान ने लोकसभा में जिस तरह से माफी मांगी , वह भी महज एक रस्म अदायगी भर थी। जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को स्वयं कहना पड़ा कि आजम खान स्पष्ट शब्दों में माफी मांगी, जिसके बाद आजम खान ने कहा कि अगर उनके शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है तो वे क्षमा मांगते है। आजम खान के इस बयान का पटाक्षेप तो हो गया मगर क्या भविष्य में आजम खान अपनी बिगड़े बोल पर काबू रख पाएंगे। दरअसल आजम खान की फितरत ऐसी है कि उनसे मर्यादित शब्दों की अपेक्षा नहीं की जा सकती। एक वक्त था जब उन्होंने भारत मां को डायन कह कर अपनी खूब मज्जमत कराई थी। इसके बाद उन्होंने कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद के बारे में कहा कि आजाद उस कश्मीर से आते है जो भारत का हिस्सा नहीं है। आजम के इस बयान पर भी खूब हल्ला मचा था। बीते दिनों लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने भाजपा की उम्मीदवार जया प्रदा के खिलाफ इतनी भद्दी दिप्पणी की थी कि निर्वाचन आयोग को उन पर पाबंदी लगानी पड़ी थी। जया प्रदा के खिलाफ बोलने के बाद भी आजम खान महिला राजनेताओं के बारे में बोलने का सलिका नहीं सीख पाए और रमादेवी के खिलाफ बेहद गैर मर्यादित टिप्पणी कर डाली। समाजवादी पार्टी न जाने क्यों उन्हें सहन कर रही है जबकि वे अपनी ही पार्टी की कई महिला राजनेताओं को भी पसंद नहीं करते। इतना ही नहीं उन्हें राजनीतिक मानमर्यादा का भी तनिक ख्याल नहीं रहता , लिहाजा जब जैसा चाहते हैं  बोल देते है फिर अपनी जुबान से पलट जाते है। रमादेवी के खिलाफ बोलने के बाद उन्होंने सारे देश के समक्ष माफी मांगी मगर क्या इसके बाद उनकी जुबान से जहरबुझे शब्द नहीं निकलेंगे