जल संरक्षण को समर्पित जिलाधिकारी शशांक शेट्टी


रिपोर्ट -तारकेश्वर राय 


जिलाधिकारी ने 'जल धरो , जल भरो ' योजना के बहुउद्देशीय पहलुओं को लागू किया पश्चिम बर्धमान के शहरी और ग्रामीण इलाकों में, जिसके बाद लोग जल संरक्षण के प्रति जागरूक होने लगे।


सूखे की मार झेल रहे देश में पानी की किल्लत को देखते हुए एक तरफ़ जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से पानी बचाने और उसके संरक्षण की अपील की है, तो दूसरी तरफ़ देश के ही एक राज्य पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिला में जल संरक्षण के लिए चलाई जा रही राज्य सरकार की 'जल धरो, जल भरो योजना को इतने बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया जा रहा है, कि उसकी चौतरफ़ा तारीफ़ हो रही है।


7 अप्रैल 2017 को जब बर्धमान को बांटकर पश्चिम बर्धमान के रूप में नया जिला बनाया गया, तो जिला प्रशासन के सामने दो बड़ी समस्याएं थी। पानी की कमी और बेरोजगारी के चलते लोगों का पलायन। जिले में पानी की कमी के साथ ही सिंचाई की व्यवस्था का भी अभाव था। लोगों को मनरेगा के तहत कम ही रोजगार मिल पाता था, जिसके चलते क्षेत्र से लोगों का पलायन दिन-ब दिन बढ़ रहा था। लेकिन जिला शासक शशांक शेट्टी ने इसे चुनौती के रूप में लिया और जिला बनने के तुरंत बाद विस्तृत कार्य योजना तैयार की। जिला शासक शशांक शेट्टी के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने जल संरक्षण के लिए चलाई जा रही 'जल धरो, जल भरो' योजना को प्रतिबद्धता के साथ क्रियान्वित किया। जल संग्रहण के लिए जिले में रिकॉर्ड संख्या में तालाब खुदवाए गये हैं। पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है। उन सभी तालाबों को खोज निकलवाया गया, जिन पर भू माफ़िया और दबंगों ने कब्जा कर रखा था। उन्हें नये सिरे से खुदवाकर पानी संरक्षित करने के लिए तैयार किया गया है। चैक डैम, वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनवाये गये है। बांध द्वारा जलाशयों का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही क्षेत्र में लघु सिचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया है, ताकि उस पानी का उपयोग सिंचाई और दूसरी परियोजनाओं के लिए किया जा सके। इसके अलावा जल संरक्षण के महत्व के बारे में नियमित रूप से जनजागरूकता अभियान चलाया जाता है। लोगों को बरसात के पानी को संग्रहण करने के उपाय सुझाये जाते हैं, ताकि जरुरत के समय वो उस पानी का उपयोग कर सके। इसके साथ ही पानी के संरक्षण और संचयन के लिए वाटर शेड बनवाये गये हैं, जिस कारण जिले में बाढ़ के प्रकोप को कम किया जा सकाहै। कई छोटी नदी, नाले गर्मी के मौसम में सूख जाते थे। बरसात में उसमें बहने वाले पानी को रोकने के लिए 2-3 मीटर ऊंचे कंक्रीट से बने चैक डैम तैयार किये गये। यह पानी सिचाई के  लिए प्रयुक्त किया जाता है। साथ ही इसके द्वारा भूमिगत जल स्तर को भी बढ़ाया जाता है। इसके साथ ही जिले में वर्षा मापक यंत्र लगवाये गये हैं, । ताकि नियमित रूप से वर्षा का परिमाण मापा जा सकेसमय-समय पर किसानों को ड्रिप इरीगेशन तकनीक के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि फसलों के उत्पादन में वो कम से कम पानी का व्यय करें। पूरे साल पानी उपलब्धता से किसानों को उनकी खेती, आम आदमी को उनकी दैनिक जरूरतों और पशुपालकों को उनके मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिल पा रहा है।


 'जल धरो, जल भरो' ममता बनर्जी सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसकी देखरेख जल संसाधन जांच और विकास विभाग करता है। 'जल धरो, जल भरो' अभियान 2011 में सभी प्रकार के जल निकायों के माध्यम से बहुमूल्य जल संसाधनों के संरक्षण के उद्देश्य से शुरू किया गया था। टैंकों, तालाबों, जलाशयों, नहरों आदि और छत पर वर्षा जल संचयन के माध्यम से। ये संरक्षण उपाय श्रम आधारित नौकरियों के माध्यम से ग्रामीण लोगों के लिए मजदूरी सुरक्षा प्रदान करते हैं। 'जल धरो, जल भरो' योजना के शुरू होने के समय सरकार ने 5 सालों में 50 हजार तालाब खुदवाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन राज्य सरकार की यह योजना इतनी सफ़ल हुई कि सरकार ने 8 सालों में 3 लाख से ज्यादा तालाब खुदवाये।



शशांक शेट्ठी ,जिलाधिकारी पश्चिम बर्धमान 


जिला प्रशासन ने जल धरो , जल भरो  और मनरेगा के साथ ही राज्य सरकार की दूसरी  योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए ठोस कदम उठाये हैं, ताकि इन योजनाओं का पूरा लाभ क्षेत्र के लोगों को मिल सके।


पंचायत विभाग को भी योजना में शामिल किया गया है, जिसके कारण 100 दिनों के रोजगार योजना के तहत लाखों लोगों को रोजगार मिला ।इससे एक तरफ़ जहां जल संरक्षण हुआ, तो दसरी तरफ़ तालाबों में मछली पालन बढ़ावहीं बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलने से उनका पलायन रूका। इस योजना के शुरू होने से पहले बारिश के समय कुछ ड्लाकों में बाढ़ आ जाती थी । लेकिन सरकार द्वारा बड़ी संख्या में तालाबों की खुदाई और पुराने तालाबों के जीर्णोद्धार से बारिश के पानी को आसानी से उनमें रोक लिया जाता है, जिससे काफ़ी हद तक बाढ़ का ख़तरा टला है। शशांक शेट्टी की दूरदर्शिता और अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि 'जल धरो, जल भरो' योजना के क्रियान्वयन में पश्चिम बर्धमान जिला नई इबारत लिख रहा है, जिसे देखते हुए यह कहना मुश्किल नहीं है कि आगामी दिनों में जल संरक्षण के मामले में पश्चिम बधमान जिला देश के सामने मॉडल साबित होगा।