आज तक किसी के साथ नहीं निभी मायावती की


लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया। मायावती ने चौबीस साल बाद समाजवादी पार्टी के साथ उत्तर प्रदेश में दोबारा गठबंधन किया था। इससे पहले मायावती के राजनीतिक गुरू कांशीराम ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से हाथ मिलाकर उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, मगर उस वक्त भी बसपा की सपा के साथ ज्यादा नहीं निभ पाई थी। मायावती ने इससे पहले राजबहादुर, आर.के. चौधरी, स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे अपनी ही पार्टी के नेताओं से अपने संबंध विच्छेद कर लिए थे। लोकसभा चुनावों में मायावती ने इस आशा के साथ समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था कि भाजपा के खिलाफ उत्तर प्रदेश के यादव, दलित और मुस्लिम वोट एक होकर अगर गठबंधन को मिल गए, तो वह भाजपा को धराशाही कर देंगी। मगर चुनाव परिणाम के बाद मायावती का कलेजा मुंह को आ गया।  उन्हें उत्तर प्रदेश की सुरक्षित लोकसभा सीटों पर भी दलितों ने नकार दिया। इतना ही नहीं यादव बहुल लोकसभा सीटों पर भी उन्हें हार का मुंह देखता पड़ा। करारी हार के बाद मायावती ने हार का ठीकरा सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सिर फोड़ दिया और साफ कहा कि यादवों ने गठबंधन को वोट नहीं दिया। मायावती ने साफ कहा कि भविष्य में अब वह उत्तर प्रदेश में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगी, सपा के साथ उनका राजनैतिक सफर खत्म। मायावती की इस घोषणा के बाद अखिलेश यादव की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। अलबत्ता सपा के शीर्ष नेताओं ने कहा कि मायावती की यह चाल कोई नई नहीं है। अक्सर उन्होंने अपने राजनीतिक साथियों को बीच भंवर में ऐसे ही धोखा देने का काम किया है। दरअसल बसपा मुखिया मायावती एक अति महत्वकांक्षी राजनेता हैं। राजनीतिक में प्रतिष्ठा और सत्ता की भूख उन्हें इतनी ज्यादा हैं कि इसके लिए उन्होंने पहले कई बार सपा, कांग्रेस और भाजपा के साथ चुनावी समझौते किए और सत्ता में आने के बाद गठबंधन को तोड़ दिया। बसपा सुप्रीमो अब उत्तर प्रदेश सहित देश के हर राज्य में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों को अकेले अपने ही दम पर लड़ेंगी। इसके लिए उन्होंने अपने भतीजे आकाश और भाई आनंद को पार्टी में अहम पदों से नवाजा है। इससे पहले मायावती ने राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था और सार्वजनिक रूप से कहा था कि वे कभी भी अपने परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति में नहीं लाएंगी। मगर लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद उन्हें केवल और केवल अपने परिवार के लोगों पर ही भरोसा दिखाई दे रहा है। इससे पहले मायावती ने कहा था कि मेरा उत्तराधिकारी परिवार से अलग होगा। फिलहाल बसपा सुप्रीमो उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और उन्होंने कहा कि बसपा अपने बालबूते पर चुनाव में उतरेगी। दूसरी तरफ सपा के साथ रिश्ते खत्म करने की घोषणा के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि वे बसपा के आरोपों का विश्लेषण कर रहे है इसके बाद ही वे सार्वजनिक रूप से गठबंधन के खिलाफ कुछ कहेंगे।