बंगाल में भाजपा के अच्छे दिन


पश्चिम बंगाल में भाजपा के अच्छे दिन आ गये हैं। लोकसभा चुनाव के परिणामों से स्पष्ट है कि अब पश्चिम बंगाल में भाजपा एक बड़ी ताकत बन चुकी है। उसने ना केवल लोकसभा की 18 सीटों पर विजय प्राप्त की है, बल्कि ज्यादातर जगहों पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे हैं। इसके साथ इन चुनावों में भाजपा को 40.3 फीसदी वोट मिला है, वहीं उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी टीएमसी को 22 लोकसभा सीटों के साथ 43.3 फ़ीसदी वोट मिले। जबकि पहले उसके 34 सांसद थे। हालांकि टीएमसी को पहले से ज्यादा वोट मिले हैं, लेकिन राज्य में भाजपा के वोटों में बंपर उछाल से उसे इस बार 12 सीटें खोनी पड़ी हैं। पश्चिम बंगाल में 34 साल तक राज करने वाले वाम दलों का इस बार राज्य में खाता तक नहीं खुला और वो केवल 6.7 फ़ीसदी वोटों पर ही सिमट गये। कांग्रेस को राज्य में 2 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई है, लेकिन राज्य में उसका वोट भी मात्र 5.5 फ़ीसदी रहा। उसके जीते दोनों उम्मीदवार केवल अपनी व्यक्तिगत छवि के चलते जीते, ना कि पार्टी के वोट बैंक के दम पर । वाम दलों और कांग्रेस के वोट बैंक का ज्यादातर हिस्सा इन चुनावों में भाजपा को मिला। पश्चिम बंगाल में भाजपा को मिली सफ़लता पश्चिम बंगाल में भाजपा को मिली सफ़लता का ही परिणाम है कि सत्ताधारी टीएमसी समेत सभी दलों के नेताओं में भाजपा ज्वाइन करने की होड़ लगी है। लोकसभा चुनाव परिणाम को अभी कुछ दिन ही बीते हैं कि सत्ताधारी पार्टी के 3 विधायकों और 50 पाषर्दो ने भाजपा का दामन थाम लिया। क्या यह प्रधानमंत्री मोदी के उसी बयान की परिणिति है? जिसमें चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि टीएमसी के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं और वो कभी भी दीदी का साथ छोड़ सकते हैंइससे पहले राज्य भाजपा नेता अर्जुन सिंह भी कह चुके हैं कि लोकसभा चुनावों के बाद टीएमसी में भगदड़ मच जाएगी और उसके 100 से ज्यादा विधायक टूट जाएंगे। गौरतलब है कि अर्जुन सिंह ने भी चुनाव से एन पहले भाजपा ज्वाइन कर ली थी। भाजपा ने उन्हें बैरकपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, जिसमें उन्होंने टीएमसी के हैवीवेट नेता दिनेश त्रिवेदी को हराकर विजय प्राप्त की। पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि टीएमसी में असंतोष बढ़ रहा है। दीदी की कार्यशैली से उनके ही नेता और कार्यकर्ता परेशान हैं और देर-सबेर वो टीएमसी को अलविदा कहकर भाजपा ज्वाइन कर लेंगे। उधर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी परिदृश्य को भांपकर नयी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनावों की समीक्षा की जा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल किया है। कुछ मन्त्रियों का कद घटाया गया है, तो वहीं कुछ मंत्रियों को अहम विभागों की जिम्मेदारी देकर उन्हें पुरस्कृत किया गया है। संगठन में भी व्यापक फेरबदल की तैयारी है। जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वो अपने क्षेत्र में नाराज नेताओं कार्यकर्ताओं को मनाएं और फ़िर से उन्हें पार्टी के लिए काम करने को राजी करें । ममता को आशंका है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में वामदलों और कांग्रेस का बचा-खुचा वोट भी भाजपा को ट्रांसफ़र हो सकता है और ऐसी स्थिति में वो टीएमसी को सत्ता से बाहर भी कर सकती है, क्योंकि अब टीएमसी और भाजपा के बीच केवल तीन फ़ीसदी वोटों का मामूली फ़ासला है। उधर भाजपा को उम्मीद है कि वो राज्य में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों में टीएमसी को सत्ता से बेदखल कर देगी। इसके लिए भाजपा हर मौके को भुना रही है और व्यापक रणनीति के साथ काम कर रही है। जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी का पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से उनके घर जाकर मिलना हो या फ़िर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के दौरान मारे गये कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने का न्यौता देना आदि पार्टी के विभिन्न क्रियाकलाप यह बताने के लिए काफ़ी हैं कि पश्चिम बंगाल की सत्ता को लेकर भाजपा कितनी अक्रामक और बेचैन है। मोदी मंत्रिमंडल में बंगाल से बने 2 मंत्री पश्चिम बंगाल में भाजपा को जबरदस्त जीत मिली है, लेकिन इसके बावजूद मोदी मंत्रिमंडल में पश्चिम बंगाल से केवल दो ही मंत्री बनाये गये हैं । बाबुल सुप्रियो और देबोश्री चौधरी दोनों को राज्यमंत्री बनाया गया है। टीएमसी के हैवीवेट नेता दिनेश त्रिवेदी को हराकर लोकसभा में पहुंचे अर्जुन सिंह को मंत्री बनाये जाने की बड़ी उम्मीद थी, लेकिन उन्हें इस बार मौका नहीं मिला। लेकिन भाजपा सूत्रों के मुताबिक, उन्हें जल्द ही कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। अर्जुन सिंह का उत्तर कोलकाता से लेकर नादिया तक अच्छा असर है। पश्चिम बंगाल में रहने वाले हिन्दी भाषी लोगों पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसी का परिणाम है कि बैरकपुर लोकसभा सीट से जहां वो टीएमसी के हैवीवेट नेता और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को हराने में सफल रहे, तो वहीं भाटपारा विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में उनके बेटे पवन कुमार सिंह ने टीएमसी के बड़े नेता मदन मित्रा को बड़े मार्जिन से शिकस्त दी। राजनैतिक विश्लेष्कों का कहना है कि अर्जुन सिंह को मंत्रिमंडल में जगह देकर भाजपा एक तीर से कई निशाने साध सकती थी।