हरियाणा में कांटे की टक्कर

 



लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है।  हरियाणा में लोकसभा की कुल 10 सीटें हैं। इनमें अंबाला, कुरूक्षेत्र, सिरसा, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत, करनाल, गुरूग्राम, हिसार और भिवानी-महेन्द्रगढ़ हैं। हरियाणा की सभी लोकसभा सीटों पर इस बार चतुष्कोणीय था फ़िर पंचकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। राज्य में जहां भाजपा, कांग्रेस और इनेलो अपने-अपने दम पर चुनाव में खुम ठोंक रही हैं, तो वहीं इनेलो से अलग हुई जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी गठबंधन करके चुनाव लड़ रही हैं। बाहुजन समाज पार्टी ने भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ मिलकर चुनाव में उतरने का फैसला किया है। राज्य में अभी हाल ही में हुए पंचायत चुनाव और जींद उपचुनाव के नतीजों से सत्ताधारी भाजपा खासी उत्साहित है। भाजपा को यकीन है कि केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा कराये गये विकास कार्यों का उसे आगामी चुनावों में फ़ायदा मिलेगा और इस बार वो राज्य की सभी दस लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब होगी। इसके साथ ही राज्य के भाजपा नेता दबी जुबान में यह भी स्वीकार करने में गुरेज नहीं कर रहे हैं कि जाट वोट बटने का उन्हें फ़ायदा मिलेगाउनका कहना है कि जाट वोट कांग्रेस, इनेलो और जननायक जनता पार्टी में बटेगा। साथ ही उनका कुछ हिस्सा भाजपा को भी मिलेगा, लेकिन ज्यादातर गैर जाट वोट भाजपा की झोली में आएगा। हाल ही में हुए पंचायत चुनाव और जींद उपचुनाव के नतीजे भी इसकी तस्दीक करते राज्य में भाजपा को हराने के लिए आम आदमी पार्टी और इनेलो ने अपने-अपने दम पर महागठबंधन बनाने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें अपेक्षित सफ़लता नहीं मिली। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने कई बार सार्वजनिक मंचों और अपने राजनैतिक सूत्रों के द्वारा राज्य में कांग्रेस को गठबंधन के लिए ऑफ़र किया, लेकिन बात नहीं बन पाई। इसी तरह इनेलो ने बसपा और दूसरी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करने का प्रयास किया, लेकिन उसके प्रयास भी सिरे तक नहीं चढ़ पाये। फ़िलहाल राज्य में जहां भाजपा, कांग्रेस और इनेलो अपनेअपने दम पर चुनावी समर में उतर रही हैं, तो वहीं आम आदमी पार्टी ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनावी समर में उतर रही है। बसपा ने इनेलो का साथ छोड़कर भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से गठबंधन कर लिया है। इससे कुछ दिन पहले बसपा का इनेलो से तालमेल हुआ था और राज्य में दोनों पार्टियों ने पंचायत चुनाव के साथ ही जींद उपचुनाव भी मिलकर लड़ा था, लेकिन दोनों की बुरी तरह हार हुई थी। इसके बाद बसपा ने इनेलो से नाता तोड़ लिया था। हालांकि राज्या में अभी तक सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह साफ़ है कि राज्य में इस बार सभी सीटों पर चतुष्कोणीय था फ़िर पंचकोणीय मुकाबले के आसार हैं। गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में से 7 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में भाजपा ने करनाल, सोनीपत, भिवानी-महेन्द्रगढ़, फ़रीदाबाद, गुरूग्राम, कुरूक्षेत्र और अंबाला सीटें जीती थीं । कांग्रेस केवल रोहतक सीट जीत पाई थी, जबकि इनेलो ने हिसार और सिरसा लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 34,84 प्रतिशत, कांग्रेस को 22,99 प्रतिशत, इनेलो को 24.43 प्रतिशत, बसपा को 4.6 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि भाजपा की तत्कालीन सहयोगी हजकां को 6.14 प्रतिशत वोट मिले थे। हजकां का अब कांग्रेस में विलय हो चुका है