सेकुलर मोर्चा बना महागठबंधन की फ़ांस


 



समाजवादी पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने सेकुलर मोर्चा का गठन कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी। लेकिन शिवपाल के इस सेकुलर मोर्चा ने समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। एक तो सपा के बागी नेता सेकुलर मोर्चे की ओर रुख कर रहे हैं, तो वहीं उत्तर प्रदेश में महागठबंधन का सपना संजो रहे अखिलेश के लिए अब बसपा और दूसरे दलों से सीटों के तालमेल को लेकर मुश्किल आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, बसपा सुप्रीमों मायावती को लगता है कि शिवपाल यादव के सेकुलर मोर्चा बनाने से यादव वोटों का बंटवारा होगा, जिससे अन्ततः समाजवादी पार्टी कमजोर होगी। ऐसे में बसपा के महागठबंधन में शामिल होने का क्या फ़ायदा? इसके साथ ही मायावती को इस बात का भी अहसास है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा विरोधी दलों के महागठबंधन की सूरत में उनका वोट तो दूसरे दलों को ट्रांसफ़र हो जाएगा, लेकिन दूसरे दलों का वोट उन्हें नहीं मिलेगा। ख़ासकर समाजवादी पार्टी का यादव और मुस्लिम वोट उन्हें ना मिलकर सेकुलर मोर्चा को जाएगा। मायावती को यह डर भी सता रहा है कि महागठबंधन के तहत जिन सीटों पर वो अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगी, तो वहां के बसपा कार्यकर्ताओं में निराशा आएगी और वो अभी हाल ही में बने भीम मोर्चा के साथ जुड़ सकते हैं। दरअसल भीम मोर्चा के अध्यक्ष चन्द्रशेखर रावण भी उसी जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे मायावती आती हैं। इसलिए मायावती ने साफ़ कहा है कि अगर बसपा को सम्मानजनक सीटें मिलती है, तभी वो उत्तर प्रदेश में बनने वाले महागठबंधन में शामिल होगी। हालांकि माया ने सम्मानजनक सीटों की बात तो जरूर की है, लेकिन सीटों को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। । सूत्रों के मुताबिक, मायावती उत्तर प्रदेश में महागठबंधन में तभी शामिल होंगी, जब समझौते के तहत बसपा को लोकसभा की 40 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। ऐसे में बाकी बची 40 सीटों को ही सपा, कांग्रेस और रालोद को आपस में बांटना होगा। यह सीट समझौता सपा और बाकी दलों को कितना मंजूर होगा, यह देख़ने वाली बात होगी। हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ़ कहा है कि वो महगठबंधन के तहत बसपा को सम्मानजनक सीटें देने को तैयार हैं, लेकिन सम्मानजनक सीटों की शर्त के नाम पर क्या अखिलेश उत्तर प्रदेश में बसपा के जूनियर पार्टनर के तौर पर चुनाव लड़ेंगे, यह देखना होगा, जबकि अभी भी राज्य में सपा मुख्य विपक्षी पार्टी है। उत्तर प्रदेश में सपा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। पहले लोकसभा चुनाव में हार, फ़िर विधानसभा चुनाव में हार के बाद वो राज्य की सत्ता से बाहर हो गयी। इससे जहां पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा है, तो वहीं सेकुलर मोर्चे को लेकर पार्टी में खलबली मची है। कई बड़े नेता, कार्यकर्ता सपा का दामन छोड़कर सेकुलर मोर्चा ज्वाइन कर चुके हैं। सपा के बाड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक मान रहे हैं कि शिवपाल के सेकुलर मोर्चा बनाने से समाजवादी पार्टी कमजोर होगी। सपा के बड़े नेता भी मानते हैं कि भले ही आज अखिलेश सपा के सर्वेसर्वा हों, लेकिन शिवपाल की आज भी सपा के कैडर में पकड़ है। इसके साथ ही बहुत से सपा कार्यकर्ताओं को लगता है कि सपा में शिवपाल के साथ अन्याय हुआ था, जिसके चलते सपा कैडर में शिवपाल के प्रति हमदर्दी का भाव है। सपा के वरिष्ठ नेता तेजप्रताप यादव ने आजमगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए माना कि सेकुलर मोर्चा कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी को कमजोर करेगा। वहीं सपा की अन्दरुनी फूट पर भाजपा खुश है। भाजपा नेता कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा विरोधी महागठबंधन बनने से पहले ही बिखर गया है। चुनाव आते-आते इसकी इसकी क्या दुर्दशा होगी, इसका अन्दाजा अभी से लगाया जा सकता है। वहीं राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं। कि आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में शिवपाल का सेकुलर मोर्चा भले ही कोई कमाल ना दिखा पाये, लेकिन इतना तय है कि वो सपा का खेल जरुर बिगाड़ देगा। अगर राज्य में भाजपा विरोधी दलों का महागठबंधन बनता है, तो भी सेकुलर मोर्चा यादव वोटों में सेंधमारी करेगा।