मानवता की प्रतिमूर्ति बाबा अवधूत देवी दास


मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। ईश्वर ने हमें इंसान बनाया है। इसके बाद ही हम हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि बने है। धर्म इंसान को इंसान से जोड़ने के लिए ही है। कोई भी धर्म इंसान को इंसान से बैर रखना नहीं सिखाता। मानव धर्म में ही सभी धर्मों का सार तत्व है। हमारी आत्मा की जो आवाज है, वही सच्चा धर्म है। मानव की आत्मा ही परमात्मा है। यही संदेश घर-घर में पहुंचाने में जुटे हैं, बाबा अवधूत देवीदास। बाबा देवीदास का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव नारायणी धाम में हुआ था। ग्यारह साल की आयु में ही उन्हें घर परिवार से वैराग्य उत्पन्न हो गया था और उन्होंने बाबा कजोड़ दास जी महाराज से संन्यास की दीक्षा लेकर संन्यासी का चोला धारण कर लिया था। बाबा अवधूत देवीदास जी महाराज ने देश के अनेक प्रांतों का भ्रमण किया और सभी प्रमुख तीर्थ स्थानों पर जाकर साधना एवं ज्ञान प्राप्त किया। बाबा निरंतर देश के विभिन्न राज्यों में जाकर प्रवचन देते रहते हैं। वर्तमान समय में वो पश्चिम बंगाल के अमण पर हैं। इसी दौरान अराइज़ न्यूज़ के पश्चिम बंगाल के ब्यूरो प्रमुख तारकेश्वर राय ने उनसे मुलाकात की और देश-समाज के विभिन्न विषयों पर उनके विचारों को जाना। पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।। बाबा का मानना है कि इंसान चाहें किसी भी धर्म का पालन करे, लेकिन उसके मन में इंसान के प्रति प्रेम रहना चाहिए। यही हर धर्म सिखाता है। सभी धर्मों का सार एक ही है। सभी धर्म मानवता की शिक्षा देते हैं और एक दूसरे के साथ प्रेम से रहने का संदेश देते हैं। लेकिन आज लालच और अहंकार की भावना ने मानव के मन मस्तिष्क पर कब्जा कर लिया है। इसी के चलते इंसान ही इंसान का दुश्मन बन गया है। इस भावना को दूर करना होगा, तभी मानव कल्याण संभव है। बाबा अवधूत देवीदास कहते हैं कि आज समाज से इंसानियत मिटती जा रही है। यह सब धर्म के ठेकेदारों की वजह से हो रहा है। धर्म के ठेकेदार अपनी दुकान चलाने के लिए आम आदमी को मोहरा बना रहे हैं और इंसान को इंसान से लड़वा रहे हैं। इसमें राजनेताओं की भी भूमिका है। कभी मन्दिर के नाम पर तो कभी मस्जिद के नाम पर वो लोगों को एक दूसरे का दुश्मन बना रहे हैं। इसमें मानवता कहीं पीछे छूट रही है, जबकि सभी धर्म मानवता का संदेश देते हैं। बाबा अवधूत देवीदास का कहना है कि धर्म लोगों को जोड़ता है। उनके अन्दर मानवता की भावना पैदा करता है। चाहें कोई भी धर्म क्यों ना हो, सभी का मूल यही है कि इंसानियत जिंदा रहे। इसलिए चाहें हम किसी भी धर्म के अनुयायी क्यों ना हों, हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। नई पीढ़ी के युवाओं को अपनी संस्कृतिधर्म और देश के गौरव से जोड़ने की बात पर बाब्या अवधूत देवीदास कहते हैं कि माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों को संस्कार पूर्ण शिक्षा दें, ताकि वो कभी गलत रास्ते पर ना भटकें। आज समाज में स्त्री जाति पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। जगह-जगह मासूम बच्चियों और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं घट रही हैं, यह समाज में बढ़ रही विकृति को दर्शाता है। केवल कानून का डर दिखाकर इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाना संभव नहीं है। सामाजिक चेतना ही इसका एकमात्र उपाय है। पुरुषों की सोच को बदलना होगा। उनके मन मस्तिष्क से बुरे विचारों को बाहर निकालना होगा और अच्छे विचारों का समावेश करना होगा। उन्हें बताना होगा कि उन्होंने भी किसी महिला की कोख से जन्म लिया है। उनकी भी मां, बहन, बेटी है, इसलिए उन्हें दूसरी महिलाओं का भी सम्मान करना चाहिए। स्त्री जाति भी उनके समकक्ष है, तो समाज में भेदभाव क्यों ।। उन्हें स्त्री जाति का सम्मान करना होगा, तभी इस तरह की वारदातों पर अंकुश लग सकेगा। बाबा अवधूत देवीदास संस्थान इस दिशा में व्यापक काम कर रहा है। बाबा अवधूत देवीदास का मानना है कि देश में बढ़ रही असमानता का मूल कारण अशिक्षा है। हर व्यक्ति का शिक्षित होना जरुरी है, तभी लोगों के बीच भेदभाव और दूरी घटेगी। लोगों को उनका हक मिल सकेगा। आज बड़ी संख्या में लोगों के अशिक्षित होने के कारण वहुत से नेता, शासक, प्रशासक उनके हुक पर डांका डाल रहे हैं। यही देश और समाज के पिछड़ेपन का मूल कारण है। आमतौर पर देखा गया है कि राजनेता चुनाव के समय आते हैं और भोली- भाली जनता को बरगलाकर उनका वोट तो ले लेते है, लेकिन जनता के प्रति अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं। अवधूत देवीदास संस्थान इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वो ना सिर्फ लोगों को उनके मताधिकार के बारे में जागरुक कर रहा है, बल्कि उनके हक के लिए भी लड़ाई लड़ रहा है। साथ ही जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्य से भी अवगत करवा रहा है, ताकि आम आदमी को सड़क, पानी, बिजली, मकान और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं हासिल हो सके। बाबा देवीदास देश के हर हिस्से में भ्रमण कर चुके हैं। देश भर में उनके अनुयायी हैं, जिनके बीच पहुंचकर बाबा लोगों को प्रवचन और अध्यात्म का संदेश देते हैं। उनके कार्यक्रमों में छोटे-बड़े हर समुदाय के लोग जुटते हैं। पश्चिम बंगाल के दौरे पर आये बाबा देश की राजनीतिक दशा पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं। कि भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था। देश को फ़िर से सोने की चिड़िया बनाने के लिए देश के नेताओं को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम करना होगा। बाबा देवीदास किसी विशेष राजनीतिक दल की हिमायत नहीं करते। वो कहते हैं कि हम तो संत हैं, सभी हमारे पास आते हैं। हमें राजनीति की बातों पर नहीं जाना। हम तो सभी से भारत माता की ईमानदारी और त्याग के साथ सेवा करने को कहते हैं। बाबा अवधूत देवीदास स्वयं भी त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। वो बेहद साधारण तरीके से रहते हैं। विलासिता और आराम तलवी को छोड़कर लोगों की सेवा को उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। बाबा अपने संस्थान के माध्यम से जन सेवा के अनेक कार्यक्रम चलाते हैं। बाबा का कहना है, कि समाज से असमानता और भेदभाव का भाव दूर हो, तभी सही मायनों में देश और समाज का विकास हो सकेगा।