दो-दो डैम, फिर भी प्यासी जनता




 


आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी निरसा अंचल के दर्जनों गांव के लोग दांडी चुआ से पानी पीने को मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि यहां के लोगों ने इसके लिए आवाज ना उठाई हो। लेकिन आज तक उन्हें सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। खास बात यह है कि क्षेत्र में दो-दो डैम हैं, लेकिन फिर भी । यहां के लोगों के लिए पीने का पानी नसीब नहीं है। यह सरकार के अच्छे दिनों के नारे को चिढ़ाने के लिए काफ़ी है।


झारखंड राज्य बने हुए 17 साल से ज्यादा बीत गये। झारखंड सरकार हर घर में 24 घंटे पानी, बिजली देने का वादा करती है। लेकिन कोयलानगरी धनबाद के निरसा अंचल की कई पंचायतों में 24 घंटे तो दूर, लोगों को पीने का पानी भी मयस्सर नहीं है। यहां दो-दो डैम हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां के लोग गड्ढे से चुआ के द्वारा निकाले गये दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। यहां पंचायती राज होने के चलते कई बार चुनाव भी हुए, और जनप्रतिनिधि हर बार क्षेत्र के लोगों से उनके घर पानी पहुंचाने का वादा करते रहे, लेकिन किसी ने उनकी समस्या का निदान नहीं किया और हालात जस के तस बने रहे। बात बैजना पंचायत की हो या फ़िर खुसरी पंचायत की, सभी जगह यही हाल है। सुबह होते ही घर की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए निकल पड़ते हैं। वो इसके लिए कईकई किमी पैदल चलकर जाते हैं और नदी किनारे गङ्का खोदकर, चुआ से पानी लेकर बड़े बरतन में छानकर भरती हैं। यह सिलसिला पूरे साल चलता रहता है। जब हमारी अराइज़ न्यूज़ की टीम ने मौके पर जाकर चुआ से पानी निकाल रहीं महिलाओं बात की, तो उनका कहना था कि उन्होंने इसे अपनी किस्मत मान लिया है। जब हमारे रिपोर्टर ने उनसे पूछा, कि इस तरह का दूषित पानी पीने से वो बीमार पड़ सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि फ़िर क्या करें । उनके पास इस दूषित पानी को पीने के अलावा और कोई चारा भी तो नहीं है। अगर यह नहीं पियेंगे, तो वैसे मर जाएंगे। इसके साथ ही वो बिफ़र कर कहती हैं, कि मोदीजी ने कहा था कि अच्छे दिन आएंगे। क्या यही हमारे लिए अच्छे दिन हैं? इसी बीच वहां मौजूद कुछ और महिलाओं ने कहा कि वर्षों से हम लोगों की पानी की यही व्यवस्था है। यहां कुएं तो हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं है। इसी तरह चापाकल तो हैं, लेकिन कोई चालू नहीं है। ज्यादातर चापाकल ख़राब पड़े है। सुदूर अगर किसी क्षेत्र में कोई चापाकल चालू भी है, तो उससे पानी भरने के लिए सुबाह में 2-3 बजे लाइन लगाना पड़ता है और पानी ऐसा कि उसे पिया नहीं जा सकता। बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते इन ग्रामीणों का कहना है। कि पानी के लिए हमारे बच्चों की पढ़ाई लिखाई खत्म हो गयी है। सारा दिन दांडी चुआ से पानी भरने में गुजर जाता है, तो पढ़ाई कब करें ।।