देवरिया में मुज़फ़्फ़रपुर जैसा कांड



बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के शेल्टर होम में चल रहे यौन शोषण कांड की आग अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी, कि उत्तर प्रदेश के देवरिया में भी एक नारी संरक्षण गृह में भी लड़कियों के यौन शोषण का शर्मनाक मामला सामने आया है। इस केस में संरक्षण गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, उसके पति मोहन त्रिपाठी और बेटी समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ़ मानव तस्करी, देह व्यापार एवं बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकद्दमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने संरक्षण गृह से 24 लड़कियों को मुक्त कराने के साथ ही नारी संरक्षण गृह को सील कर दिया है। वहीं संरक्षण गृह से अभी भी 18 लड़कियां गायब हैं। मामले के संज्ञान में आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए देवरिया के डीएम सुजीत कुमार को हटा दिया है, तत्कालीन डीपीओ को सस्पेंड कर दिया है। देवरिया के एसपी रोहन पी कनया के मुताबिक, जिले के नारी संरक्षण गृह में चल रहे देह व्यापार का खुलासा तब हुआ, जब वहां से किसी तरह निकलकर आथी 10 साल की एक बच्ची ने महिला थाने पहुंचकर पूरी सच्चाई बताई। लड़की ने बताया कि वहां रोज शाम चार बजे गाड़ियां आती हैं, जिसमें लड़कियों को ले जाया जाता है। वो लड़कियां देर रात तक लौटती हैं। लड़कियों को खुद मैडम यानि संरक्षण गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ले जाती है। संरक्षण गृह में चल रहे सेक्स रैकेट की ख़बर सुनकर पुलिस तुरंत हरकत में आ गथी। इसके बाद पुलिस ने बड़ी टीम के साथ संरक्षण गृह पर छापेमारी करके वहां से 24 लड़कियों को मुक्त करवाया। जानकारी करने पर पुलिस को पता चला कि संरक्षण गृह से 18 लड़कियां गायब हैं। संरक्षण गृह से छुड़ाई गई लड़कियों के मुताबिक, उन्हें रात में जबरन नकाब पहनाकर अलग-अलग कारों से बाहर ले जाया जाता था। वहां उनके साथ गलत काम होता था और सुबह होने से पहले ही उन्हें बालिका गृह में छोड़ दिया जाता था। जो लड़की रात में ले जायी जाती थी, वो सुबह रोती हुई घर लौटती थी। उसकी आंखें सूजी होती थी, लेकिन डर के कारण कोई भी लड़की किसी को भी कुछ नहीं बताती थी। एसपी रोहून पी कनया की मानें, तो अनियमितताओं के चलते मां विंध्यावासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह की मान्यता समाप्त कर दी गयी थी। संरक्षण गृह में अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने इस संरक्षण गृह को चिन्हित कर रखा था और इसका अनुदान बंद कर दिया गया था। इसके बाद संचालिका गिरिजा त्रिपाठी मामले को लेकर हाईकोर्ट चली गयी, जहां से उसे स्टे ऑर्डर मिल गया था। इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्री रीता बहुगुणा जोशी का कहना है कि पिछले साल सीबीआई की जांच में यह पाया गया था कि देवरिया का शेल्टर होम अवैध तरीके से चल रहा था। लड़कियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने और इसे बन्द करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। शेल्टर होम में कई अवैध गतिविधियां चल रही थी। 1 अगस्त को एफ़आईआर दर्ज करवाई गयी है। शेल्टर होम में पंजीकृत बच्चियों का सही रिकॉर्ड भी नहीं है। मामले की जांच चल रही है। बाच्चियों को मेडिकल जांच के लिए भेजा जाएगा। उधर बिहार के चर्चित मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह यौन शोषण काण्ड की जांच कर रहे सीबीआई के एसपी जेपी मिश्रा के तबादले पर राजनीति गरमा गयी है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने जेपी मिश्रा के तबादले पर सवाल खड़े किए हैं। तेजस्वी ने कहा है कि नीतीश कुमार के राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण ही जेपी मिश्रा का ट्रांसफ़र हुआ है। जेपी मिश्रा को पटना में स्थानीय डीआईजी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। वहीं उनकी जगह लखनऊ में सीबीआई के एसपी देवेन्द्र सिंह को इस केस की जांच की जिम्मा मिला है। तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके कहा है। कि बिहार के गवर्नर के बाद नीतीश कुमार को सीबीआई के एसपी का ट्रांसफ़र मिला है। वह पटना हाईकोर्ट में बालिका गृह यौन शोषण काण्ड की प्रगति रिपोर्ट जमा करने वाले थे। मगर जांच पटना सर के पास पहुंच गयी है, जिसका जिक्र इस काण्ड के मुख्य आरोपी जेश ठाकुर की डायरी में है। इससे पहले भी तेजस्वी इस मामले को लेकर कई बार नीतीश सरकार को घेर चुके हैं। तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर सवाल खड़े किये थे कि पुलिस स्टेशन से महज चन्द मिन्टों की दूरी पर स्थित बालिका गृह में इतने दिनों तक बच्चियों के साथ दुष्कर्म का घिनौना खेल चलता रहा, तो पुलिस को इसकी जानकारी क्यों नहीं रही। मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर का नाम पहली एफ़आईआर में क्यों नहीं था। तेजस्वी यादव ने इस मामले को लेकर दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर भी कैन्डिल मार्च निकाला था, जिसमें अरविन्द केजरीवाल, शरद यादव, डी राजा समेत विभिन्न दलों के कई बड़े नेता शामिल हुए थे। । बता दें कि मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में पिछले दिनों 34 बच्चियों के साथ दुष्कर्म की पष्टि हुयी थी। कई बच्चियों ने बालिका गृह के संचालक बृजेश ठाकुर पर दरिंदगी के आरोप लगाये थे । मुज़फ़्फ़रपुर का यह मामला पूरे देश की मीडिया में छाया रहा और इसे लेकर देश भर में धरना प्रदर्शन हुए। मामला संसद में भी उठा। बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति के आरोपी बृजेश ठाकुर के साथ संबंधों का मामला उठा, तो मंजू वर्मा को भी इस्तीफ़ा देना पड़ा। बिहार के साथ देश ही देश की राजनीति को गरमा देने वाले इस मामले की जांच फ़िलहाल सीबीआई के जिम्मे है।। दरअसल बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में यौन शोषण का मामला तब सामने आया, जब मुम्बई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कैसे इस बालिका गृह में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ दुराचार किया जाता है। TISS की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चियों की मेडिकल रिपोर्ट में उनके शरीर के कई हिस्सों पर जलने-कटने के निशान भी मिले। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि यौन शोषण से पहले बच्चियों को नशे की डोज था इंजैक्शन भी दिया जाता था। दरअसल जिले में सरकारी अनुदान से चलने वाले बालिका गृह में गड़बड़ी की खबरे सरकार को काफ़ी समय से मिल रही थीं । बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों ने संस्था के संचालक और दूसरे कर्मियों पर यौन शोषण और हिंसा का आरोप लगाया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इन शिकायतों को पुख्ता करने के लिए मम्बई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस को संस्था के ऑडिट का काम दिया गया। 7 महीने की रिसर्च के बाद TISS ने 31 मई को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला उजागर हुआ।