बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ 


 



आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपनों के लिए वक्त नहीं है, तो गैरों की बात तो छोड़ ही दीजिये। लेकिन इसके विपरीत समाज में अब भी ऐसे लोग मौजूद हैं, जो अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए न्यौछावर कर देते हैं, और इसी कारण आज भी इन्सानियत जिन्दा है। ऐसी ही एक व्यक्ति हैं हरियाणा के झज्जर जिले के खेड़ी होसादपुर गांव के उदयवीर वशिष्ठ, जो अपनी निस्वार्थ सेवा के लिए पूरे क्षेत्र में मिसाल बने हुए हैं। उदयवीर के पिता विजय वशिष्ठ क्षेत्र के बड़े समाजसेवी थे, जिसका व्यापक असर उनके जीवन पर पड़ा।देश प्रेम और समाज सेवा की भावना उन्हें अपने परिवार से विरासत में मिली। समाज सेवा के बारे में उनका कहना है कि पूरा समाज ही उनका परिवार है। जीवन पर केवल उनका ही अधिकार नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्रका भी उतना ही अधिकार है। इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वो अहंकार का मार्ग छोड़कर सहनशीलता का मार्ग अपनाये, उसी में है समाज और राष्ट्र का हित है। उदयवीर कहते हैं कि हमसे ही तो समाज बना है। अगर समाज का हर इंसान अपने अंदर झांककर, अपने आपको सुधार ले, तो जग अपने आप ही सुधर जाएगा। जिस हरियाणा में लिंग अनुपात पूरे देश में सबसे ज्यादा है और जहां लड़की के पैदा होने पर कई बार उसकी मां को तरह तरह के तानों से गुजरना पड़ता है, उस राज्य में उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद किया। इसके लिए उन्हें कई दुष्वारियों का सामना भी करना पड़ा। लोगों की खरी-खोटी सुननी पड़ी, लेकिन उदयवीर ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मुहिम चलाते रहे।वो चौपालों के जरिए, नुक्कड़ नाटकों के द्वारा लोगों को समझाते हैं कि बेटी और बेटे में कोई फ़र्क नहीं है। बेटी दो घरों को रौशन करती है। हरियाणा की बेटियों ने देश ही नहीं, विदेश में भी लगभग हर क्षेत्र में परचम लहराया है। कल्पना चावला, सायना नेहवाल, साक्षी मलिक, ममता खरब, संतोष यादव, गीता फ़ोगाट, बबीता फ़ोगाट के अलावा हरियाणा की और भी बहुत सी बेटियों ने हर क्षेत्र में सफ़लता के झंडे गाड़कर हमारा सिर गर्व से ऊंचा किया है। फ़िर इन निर्दोष कन्याओं की गर्भ में हत्या क्यों? वो कहते हैं कि अगर बेटी नहीं होंगी, तो आगे पीढ़ी कैसे बढ़ेगी। वो लोगों को समझाते हैं कि कुछ रुढ़िवादी, दकियानूसी सोच वाले लोगों के कारण ही आज राज्य में सबसे ज्यादा लिंग अनुपात है। इसी कारण आज राज्य के वहुत से युवा तो कुंवारे घूम रहे हैं या फ़िर उन्हें दूसरे राज्यों-देशों से दुल्हन लानी पड़ रही हैं। उदयवीर लोगों से कहते हैं कि इंसान सेवा के लिए बना है। सभी को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और कठिन परिस्थितियों में भी घबराना नहीं चाहिए। वो लोगों से आह्वान करते हैं कि जब भी बीमारी, आर्थिक समस्या या किसी हानि का मुकाबला करें, तो हम जाने-अनजाने में पाप भी कर सकते हैं। ऐसे समय में हमें सोचना चाहिए कि यह कठिनाइयां चमकदार आकाश में क्षणिक बादलों की तरह हैं। जब हम असफ़ल हों, तो हम अपनी गलतियों से सीखें और तब तक कोशिश करते रहें, जब तक कि सफ़लता हाथ ना लगे। उदयवीर का मानना है कि जब हम अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे, तो परिस्थितियां भी हमारे अनुकूल होती चली जाएंगी। राजनीति में आने के सवाल पर उदयवीर साफ़गोई के साथ कहते हैं, कि राजनीति भी समाजसेवा का ही एक जरिया है। हालांकि कुछ अष्ट नेताओं के चलते आम जनता में राजनीतिज्ञों के प्रति गलत छवि बनी है। इसे मिटाना जरुरी है, वरना आम जनता का नेताओं के ऊपर से भरोसा उठ जाएगा। अगर उनके क्षेत्र के लोगों की इच्छा हुई, तो वो रोहतक लोकसभा का चुनाव जरुर लड़ेंगे। लेकिन वो जनता का नेता नहीं, बल्कि सेवक बनकर उसका दिल जीतना चाहते है।