आपदा पर राजनीति

 


 


 


द क्षिणी राज्य केरल पिछले 100 साल की सबसे विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है। 1924 के बाद यह सबसे भीषण बाढ़ है। मौजूदा पीढ़ी और उससे पहले की पीढ़ी ने भी ऐसी बारिश नहीं देखी है। पूरा राज्य भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित है।र और तबाही का मंजर है। इस बाढ़ से अब तक करीब 350 लोगों की जानें जा चुकी हैं। फ़सल और सम्पत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है। अनुमान के तहत राज्य को करीब 20 हजार करोड़ के नुकसान की बात कही जा रही है। राज्य में बिजली, पानी, यातायात व्यवस्था ठप हो गयी है, जिसके कारण खाने पीने की वस्तुओं की आपूर्ति में भारी परेशानी आ रही है। तीन लाख से ज्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। सेना के जवान बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित बाट निकालने के लिए दिन रात एक किये हुए है। एनडीआरएफ़ की कई टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि संकट की इस घड़ी में पूरा देश केरल के साथ खड़ा है। केन्द्र सरकार ने जहां अन्तर्रिम राहत के तौर पर राज्य को 600 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है, वहीं विभिन्नराज्य सरकारें और दूसरी सरकारी, गैर सरकारी संस्थाएं और बिजनिस घराने भी केरल की मदद को आगे आये हैं। देशवासी भी अपने-अपने तरीके से केटलवासियों की मदद कर रहे हैं, ताकिंसंकट की इस घड़ी से वो बाह्र निकल सके।प्रधानमंत्नी और गृहमंत्री ने राज्य के विभिन्न इलाकों का दौरा किया है, और राज्य को र संभव सहायता देने की घोषणा की है। लेकिन इन सबके बीच कुछ दल क्षुद्र राजनीति पर भी उतर आये हैं। राजनीति भी ऐसे मुद्दे पर जिसका कोई अर्थ नहीं । हुआ यह कि पिछले दिनों एक खबर आई कि संयुक्त अरब अमीरात ने केरल में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए करीब 700 करोड़ रुपये की सहायता देने की पेशकश की है। इस पेशकश को केन्द्र सरकार ने ठुकरा दिया है। खबर के सामने आने पर कांग्रेस और माकपा समेत कई दलों ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधना शुरु कर दिया।उस पर अमानवीय होने का आरोप लगाने लगीं। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव ओमन चांडी ने केन्द्र के फैसले को जहां दुर्भाग्यपूर्ण बताया, तो वहीं भाकपा के महासचिव सुधाकर रेड्डी ने झसे झूठी प्रतिष्ठा की बात कही । लेकिन इन आरोपों की तब हवा निकल गई, जब संयुक्त अरब आमीरात के राजदूत ने कहा कि उनकी सरकार ने अधिकारिक तौर पर इस तरह की कोई घोषणा नहीं की है, बल्कि हम केरल में राहत कार्यों का जायजा ले रहे हैं और किसी भी तरह की मदद के लिए हमारी समिति भारत सरकार के अधिकारियों के साथ कोडिनेट कर रही है। साफ़ है कि विरोध की राजनीति ने समय और परिस्थिति का भी ख्याल नहीं रखा।