मॉब लिंचिंग पर नकेल

 


भीड़ द्वारा किसी को पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये है। केन्द्रीय गृह सचिव के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में गृह सचिव के अलावा कानूनी मामलों के सचिव, विधि सचिव, संसदीय विभाग के सचिव और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव शामिल हैं। कमेटी मॉब लिंचिंग की वारदातों को रोकने के उपायों पर चार हफ़्तों में अपनी रिपोर्ट देगी और उस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में कई मंत्रियों की समिति विचार करेगी। इसके साथ ही सरकार भीड़ की हिंसा को दंडनीय अपराध घोषित करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन पर भी विचार कर रही है। भीड़ की हिंसा की बढ़ती घटनाओं के चलते पिछले कुछ समय से सरकार दबाव में थी। एक तरफ़ जहां विपक्ष इन घटनाओं को लेकर सरकार पर हमलावर था, तो वहीं देश की सर्वोच्च अदालत भी भीड़ की हिंसा से निपटने के लिए सरकार को कानून बनाने का सुझाव दे चुकी थी। शीर्ष अदालत ने कड़े लहजे में कहा, कि कानून का शासन कायम रहे, यह सरकार का कर्तव्य है। देश में भीड़ तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती। हालांकि कई विशेषज्ञ मानते है कि भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए अलग से कानून बनाने की जरुरत नहीं है। अगर सरकार दृढ़ता दिखाये, तो वर्तमान कानून के तहत ही इस तरह की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से रोक लगाई जा सकती है। पिछले कुछ दिनों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं जिस तरह से बढ़ी है, वो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। इन घटनाओं ने जहां सरकार की छवि पर दाग लगाया है, वहीं सत्तापक्ष के कुछ नेताओं के बयानों ने यह संदेह भी पैदा किया है कि इन घटनाओं को सत्तारूढ़ दल का समर्थन हासिल है और 2019 के लोकसभा चुनाव वर्ग विशेष को संगठित करने के लिए यह सब किया जा रहा है। इन आशंकाओं को तब और बल मिलाकेन्द्र सरकार के एक मंत्री के द्वारा मॉब लिंचिंग के आरोपियों को सम्मानित किया गया। हालांकि में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मॉब लिंचिंग की कड़ी निंदा की राज्य सरकारों से ऐसी घटनाओं के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने को कहा था। अब देखना यह है कि सरकार द्वारा गठित कमेटी मामले को कहां तक ले जाती है। अगर उसका लीकेन्द्र सरकार गठन किया संसदीय विभाग मॉब लिंचिंग राजनाथ सिंह दंडनीय पापोती वाला रहा, तो इसका संदेश यहीं जाएगा कि सरकार ने इस कमेटी का गठन केवल दिखावे के लिए किया था।